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जूली को लेकर भाजपा-रालोद में खींचतान

रालोद ने किया जूली के घर वापसी का दावा, भाजपा नेताओं का साफ इंकार[ जूली बोलीं-अभी कुछ फाइनल नहीं, पति ही लेंगे समर्थन का अंतिम फैसला

जूली को लेकर भाजपा-रालोद में खींचतान
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मुजफ्फरनगर। जिला पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव के लिए विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं के बीच शह और मात का खेल चल रहा है। दोनों ही ओर से लगातार शक्ति प्रदर्शन का दौर बना रहने के कारण जिला पंचायत के कुछ सदस्य भी मौका देखते हुए पलटी मारने में कोई देर नहीं कर रहे है। इनमें भाजपा के सामने रालोद पूरा डटकर मुकाबले में है, तो भाकियू भी विपक्ष के कैंडिकेट के रूप में एक प्रत्याशी को मैदान में उतारकर मूंछों को तांव दे चुकी है। अब ऐसे में एक जिला पंचायत सदस्या की गुलाटी ने भाजपा और रालोद को बैचेन कर दिया है। जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव से अब तक यह सदस्या तीन पार्टियों का चोला ओढ़ चुकी है और इसके बाद भी यह फाइनल नहीं हो पाया है कि यह किसके समर्थन में खड़ी है।

जी हां! हम बात कर रहे हैं जिला पंचायत के वार्ड संख्या 37 जानसठ तृतीय से सदस्य पद पर निर्वाचित हुईं जूली जाटव पत्नी जर्रार अहमद राना निवासी कैथोडा की। जूली जाटव ने जिला पंचायत की सुरक्षित सीट वार्ड 37 से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। खुद कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व विधायक पंकज मलिक ने जूली जाटव को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था। चुनाव जूली ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में लड़ा चुनावी में उन्होंने 7303 वोट प्राप्त करते हुए जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद से ही जूली जाटव और उनके पति जर्रार राना का कांग्रेस से मोहभंग होने लगा था। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सत्ता और विपक्षी दलों के बीच चली खींचतान में जूली जाटव ने भी मौका भुनाने का प्रयास किया। विपक्ष को मजबूत देखकर जूली जाटव ने करीब एक सप्ताह पूर्व रालोद कार्यालय पर पहुंचकर रालोद की सदस्यता ग्रहण की और विपक्ष ने सत्ता पक्ष को शिकस्त देने के लिए जोरआजमाइश शुरू कर दी थी।


अब जबकि सत्ता पक्ष की ओर से जीत से अधिक संख्या में सदस्यों का समर्थन का दावा किया गया तो फिर से जूली जाटव ने पलटी मारी। केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान के साथ ही मंत्री कपिल देव अग्रवाल और सभी भाजपा विधायकों व भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला की रणनीति से भाजपा प्रत्याशी डा. वीरपाल निर्वाल के समर्थन में 28 सदस्यों के समर्थन का दावा किया गया। इनमें 13 भाजपा के सदस्य, 2 सदस्यों ने भाजपा ज्वाइन की और 15 दूसरे सदस्यों के साथ आने का दावा करते हुए भाजपा ने खुला शक्ति प्रदर्शन किया था। इसको देखते हुए गत दिवस गुरूवार को जूली जाटव ने अपने पति जर्रार राना के साथ गांधीनगर स्थित भाजपा कार्यालय पर जाकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए रालोद को झटका दे दिया था। इससे भाजपा और भी मजबूत होती नजर आयी।

शुक्रवार को अचानक ही जूली जाटव के घर ;रालोदद्ध वापसी की खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो राजनीतिक हलचल मची रही। इस संबंध में रालोद जिलाध्यक्ष अजीत राठी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि रात में ही जूली जाटव की घर वापसी हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग सत्ता का सहारा लेकर जिला पंचायत सदस्यों पर समर्थन के लिए दबाव बना रहे हैं। ऐसा ही जूली के साथ भी किया गया, लेकिन अब जूली रालोद के साथ खड़ी है। वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला का कहना है कि रालोद सहित पूरा विपक्ष जिला पंचायत के चुनाव में भ्रष्टाचार के आधार पर जीतने का प्रयास कर रहा है। प्रलोभन दिया जा रहा है। जूली जाटव ने गुरूवार को पार्टी ज्वाइन की, वह स्वेच्छा से पीएम मोदी और सीएम योगी की जनकल्याण की नीतियों और देशहित में किये गये कार्यों से प्रभावित होकर पार्टी में आई है। पार्टी में सभी का साथ सभी का विकास की नीति पर काम हो रहा है। जूली जाटव आज भी पार्टी में बनी हुई हैं। विपक्ष के सभी आरोप बेबुनियाद है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा बड़े बहुमत से विजयी होगी।

दूसरी ओर जिला पंचायत सदस्या जूली जाटव का कहना है कि गुरूवार को वह भाजपा में शामिल जरूर हो गयी थी, लेकिन अभी किसी को समर्थन देने का पक्का इरादा नहीं बना पाई है। उन्होंने कहा कि भाजपा में जवाइनिंग की खबर मिलने पर रालोद के कुछ नेता देर शाम उनके घर पर आये थे। उनके पति के साथ उन्होंने बात की थी, क्या बात हुई उनको जानकारी में नहीं है। अभी मैं इतना ही कह सकती हूं कि अभी समर्थन के लिए कुछ फाइनल नहीं हो पाया है, मैं अभी न भाजपा में हूं और न रालोद में हूं। इस मामले को देखते हुए केवल इतना ही कहा जायेगा कि सत्ता और विपक्ष जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत हार के लिए बूंद-बूंद कीमती के फार्मूले पर चल रहे हैं। जूली जाटव का मामला तो एक अनार सो बीमार वाला बनकर रह गया है। चुनाव से अब तक वह कांग्रेस, रालोद और फिर भाजपा का चोला तो ओढ़ चुकी हैं। अंतिम निर्णय क्या होगा यह भी भविष्य के गर्भ में है।

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