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ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी का निधन

शिव बाबा की उपासना का संदेश देने वाली राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी गुलजार दादी के नाम से मशहूर रहीं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर ही कैलाशवासिनी हो गई। वह 50 साल से ज्यादा समय से ब्रह्माकुमारी मिशन से जुड़ी रहीं और दुनिया भर में शिव बाबा के संदेश को पहुंचाने का काम किया।

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी का निधन
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जयपुर। शिव बाबा की उपासना का संदेश देने वाली राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी गुलजार दादी के नाम से मशहूर रहीं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर ही कैलाशवासिनी हो गई। वह 50 साल से ज्यादा समय से ब्रह्माकुमारी मिशन से जुड़ी रहीं और दुनिया भर में शिव बाबा के संदेश को पहुंचाने का काम किया। पिछले 15 दिनों से मुंबई के सैफी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। पीएम मोदी ने भी दुख जताया है। देश और दुनिया के नेता व अभिनेता भी उनके अमृत वचन सुनते थे। उन्होंने शिव बाबा के संदेश देकर लाखों लोगों को एक इंसान की भांति जीना सिखाया।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी उर्फ दादी गुलजार का गुरुवार को निधन हो गया। शिवरात्रि के इस पावन अवसर पर दादी परमात्मा के गोद में समा गईं। लगभग 50 साल से भी ज्यादा समय से दादी ने परमात्मा के संदेश को विश्व में फैलाने का काम किया। पिछले कुछ सालों से वे बीमार चल रही थीं और मुंबई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 93 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए एक तस्वीर भी शेयर की, जिसमें दादी हृदयमोहिनी आश्रम पधारने पर पीएम मोदी को तिलक कर स्वागत कर रही हैं।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दादी हृदयमोहिनी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया कि दुःखद समाचार मिला है कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी ह्दयमोहिनी जी (जिन्हें सब गुलजार दादी कहते थे) ने आज शरीर का त्याग कर दिया है। महाशिवरात्रि के दिन ही वह कैलाशवासिनी हो गई हैं। उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम एवं विनम्र श्रद्धांजलि। दादी गुलजार ने छोटी सी उम्र में ही खुद को परमात्मा के हवाले कर दिया था। दादी गुलजार ने अपने नाम को पूरा सार्थक किया है, वे जहां भी जाती थीं वहां गुल खिलते थे। अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस, सेमिनार में लाखों लोगों को जीवन में सुख और शांति लाने का तरीका बताने वाली दादी संस्था में कई विभाग को हेड करती थीं।

दादी हृदयमोहिनी 46 हजार बहनों की मार्गदर्शक और अभिभावक भी थीं। कहा जाता है कि महिला के रूप में दादी ने संस्था को ऊंचाईयों के शिखर पर ले जाने में बड़ा योगदान दिया। दादी हृदयमोहिनी का जन्म कराची में हुआ, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने पूरे विश्व को अपना घर समझा और खुदको परमात्मा के संदेश को फैलाने का एक जरिया बनाया। सिर्फ भारत ही नहीं उन्होंने विदेशों में भी परमात्मा के ज्ञान का परिचय दिया है।

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