रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने में क्यों नाकाम रही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: भारत

Update: 2024-02-27 06:44 GMT

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सवाल उठाते हुए पूछा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में क्यों असफल रहा? भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पुरानी व्यवस्था में बदलाव की मांग की। भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मौजूदा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सवाल उठाते हुए पूछा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में क्यों असफल रहा? भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पुरानी व्यवस्था में बदलाव की मांग की। यूएन जनरल असेंबली प्लेनरी की बैठक हुई, जिसमें रुचिरा कंबोज ने उक्त सवाल उठाए।

रुचिरा कंबोज ने कहा श्रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए दो साल का समय बीत चुका है। ऐसे में हमें बतौर संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को कुछ पल रुककर सोचने और अपने आप से पूछने की जरूरत है कि क्या निकट भविष्य में इस संकट का समाधान निकल सकता है? और अगर नहीं निकल सकता तो फिर संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था, खासकर सुरक्षा परिषद क्यों है? इसका गठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा के लिए किया गया था, ऐसे में ये क्यों मौजूदा संघर्षों को सुलझाने में पूरी तरह से बेअसर साबित हुई है?

बीते शुक्रवार को यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली की प्लेनरी बैठक हुई। इसी दौरान भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग उठाई। रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुराने ढांचे में बदलाव की मांग की और कहा कि जब तक इसमें बदलाव नहीं होंगे तब तक सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में रहेगी।

रुचिरा कंबोज ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को भी दोहराया, जिसमें पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि श्ये युद्ध का युग नहीं है। कंबोज ने कहा कि यूक्रेन हालात को लेकर भारत चिंतित है। हम लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इंसानी जिंदगी की कीमत पर कोई समाधान नहीं होना चाहिए। हिंसा किसी के भी हित में नहीं है। कंबोज ने कहा कि कूटनीतिक तरीके से ही शांति संभव है और इसके लिए सभी पक्षों के बीच बातचीत होनी चाहिए। हमें ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए, जिनसे बातचीत और समाधान के रास्ते बंद हो जाएं।

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