पीएम मोदी का दुनिया भर में जलवाः अमेरिका ने माना- मोदी का मन भांपकर पुतिन ने नहीं किया यूक्रेन पर परमाणु हमला

दुनिया में सबसे तेजी के साथ उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था और पीएम मोदी का जलवा अब सारी दुनिया मानने लगी है।

Update: 2022-12-19 08:26 GMT

नई दिल्ली। दुनिया में सबसे तेजी के साथ उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था और पीएम मोदी का जलवा अब सारी दुनिया मानने लगी है। अमेरिका ने भी माना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मन भांपकर ही रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर परमाणु बमों से हमला करने का विचार त्याग दिया है। अमेरिका ने माना कि मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातें रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का मन बदलने में कामयाब रहीं। शी जिनपिंग और भारत में प्रधानमंत्री मोदी ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई। अमेरिका ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान आज परमाणु हथियारों के इस्तेमाल करने की रूस की योजना का कोई साफ सबूत नहीं दिखाई देता। भारत ने बार-बार यूक्रेन युद्ध में परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के खिलाफ आवाज उठाई। वह दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के लिए तनाव खत्म करने की अपील करता आया है। मोदी ने पुतिन के साथ कई बार बातचीत में भी युद्ध खत्म करने की अपील की। सीआईए चीफ का बयान मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश में बढ़ती साख पर मुहर लगाता है। ग्लोबल स्टेज पर भारत एक बड़े नेगोशिएटिंग पावर के रूप में उभर रहा है। अमेरिका ने पिछले कुछ महीनों में कई मौकों पर यूक्रेन संघर्ष पर प्रधानमंत्री मोदी के रुख का स्वागत किया। दो दिन पहले, अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, 'पीएम मोदी ने जैसा कहा है, हम उनकी बातों को वैसे ही मानेंगे और जब वे चीजें होंगी, तो उन टिप्पणियों का स्वागत करेंगे। अमेरिका के ऐसे बयान पश्चिमी देशों के भारत के रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी के बीच आते रहे हैं। यूक्रेन संघर्ष में भारत ने अपने हितों का ध्यान रखते हुए किसी का पक्ष नहीं लिया। पहले कोविड, फिर यूक्रेन संघर्ष के दौरान मोदी और पुतिन लगातार बात करते रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच ताजा बातचीत 16 दिसंबर 2022 को हुई। इसमें मोदी ने पुतिन से एकबार फिर कहा कि बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का इकलौता रास्ता है। दोनों नेताओं के बीच फोन पर यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब यह सामने आया कि मोदी इस साल सालाना भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए मॉस्को नहीं जा रहे हैं। पुतिन पिछले साल इस समिट के लिए भारत आए थे। इससे पहले समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में मोदी ने पुतिन से कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है। भारत को इसी महीने रोटेशनल आधार पर जी-20 की अध्यक्षता मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत के लिए सुनहरा अवसर बताया। दुनिया के 19 ताकतवर देशों और यूरोपियन यूनियन के इस समूह के जरिए भारत को ग्लोबल डिप्लोमेसी में अपनी साख बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालिया वर्षों में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान मजबूत की है। दुनिया में आर्थिक मंदी के बावजूद भारत अपनी अर्थव्यवस्था को उससे दूर रखने में सफल रहा है। वह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक है। 

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