एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर पर पुनर्विचार हो सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सैंवैधानिक पीठ ने 2004 में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में अपने फैसला देते हुए कहा था कि किसी भी समुदाय के भीतर आरक्षण देने के लिए अलग से कैटेगरी का निर्माण नहीं किया जा सकता

Update: 2020-08-27 09:06 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण को लेकर आज अहम फैसला देते हुए वर्ष 2004 में सर्वोच्च अदालत की ही संवैधानिक पीठ के फैसले से अपनी असहमति जताते हुए कहा कि राज्य आरक्षण देने के लिए एससी और एसटी समुदाय में भी अलग कैटेगरी बना सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की सैंवैधानिक पीठ ने 2004 में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में अपने फैसला देते हुए कहा था कि किसी भी समुदाय के भीतर आरक्षण देने के लिए अलग से कैटेगरी का निर्माण नहीं किया जा सकता । आज दिए गए निर्णय में जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने ईवी चेन्नैया के आदेश पर पुनर्विचार के लिए इसे 7 जजों की बड़ी संवैधानिक पीठ के पास विचार के लिए भेजने की जरूरत बताई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एससी व एसटी के भीतर क्रीमी लेयर की अवधारणा पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। कोर्ट ने राज्यों को ऐसे लोगों को आरक्षण दिए जाने की वकालत की है जोकि एससी व एसटी कैटेगरी में होने के बावजूद आरक्षण का लाभ नहीं हासिल कर पा रहे हैं। आदेश में कहा गया है कि जब राज्य को यह अधिकार है कि वह लोगों को आरक्षण दे सकता है तो उसे यह भी अधिकार है कि वह समुदाय में अलग कैटेगरी का भी चयन कर सकता जिन्हें आरक्षण का सही लाभ नहीं मिल रहा है।

दरअसल एससी व एसटी में आने वाली कुछ जातियों को बाकियों की तुलना में आरक्षण में प्राथमिकता दी जाती है, यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य एससी और एसटी समुदाय में आरक्षण देने के लिए अलग कैटेगरी बना सके इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की बड़ी संवैधानिक पीठ को इस मसले पर विचार की जरूरत है।

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