गलतियों को स्वीकार करना है या बढ़ावा देना है।

कुछ मूर्ख लोग एक गलती को छुपाने के लिए हर फैसला गलत लेते हैं ताकि वो दुनिया कि नजरों में अच्छे बने रहे अगर अच्छाई का आंकलन सिर्फ अच्छे कपड़ों और अच्छी सूरत से लगाया जा सकता तो red light area इतना बदनाम नहीं होता।

Update: 2021-09-01 07:21 GMT

अपनी गलतियों को स्वीकार करना अपने चश्मे पर लगी धूल को हटाने जैसा है, ऐसा करने पर दुनिया को हम जिस धुंधली नज़र से देख रहे थे, अब वो साफ़-साफ़ दिखाई देती है|गलती को स्वीकार करके हम पहले से अच्छे इंसान बनते है, इसके परिणाम भी अच्छे देखने को मिलते है इससे रिश्तों में दूरियाँ कम होंगी और हम एक दूसरे के अधिक करीब होंगे।अपने दुर्गुणों को पहचान कर उनको दूर करने की कोशिश करेंगे।हमारे स्वभाव में नम्रता आएगी ।आप केवल अपनी ही नहीं बल्कि अपनों की नजरों में भी सम्मानीय होंगे। लेकिन कुछ मूर्ख लोग एक गलती को छुपाने के लिए हर फैसला गलत लेते हैं ताकि वो दुनिया कि नजरों में अच्छे बने रहे अगर अच्छाई का आंकलन सिर्फ अच्छे कपड़ों और अच्छी सूरत से लगाया जा सकता तो red light area इतना बदनाम नहीं होता।

हम जो भी करते है , हमें लगता है कि वो पूरी दुनिया से छुपा है मगर ये पब्लिक है सब जानती है, हमें चाहिए की अकेले में हम अपने आप का अवलोकन कर देखें की हमारी ज़िन्दगी किधर अग्रसर है। हम क्या कर रहे हैं। पूरा जीवन तो जैसे गलतियों का एक पुलिंदा है,जैसे जैसे जीवन आगे बढ़ता है, ये पुलिंदा भारी होता जाता है,कभी हम अनजाने में और कभी जान कर गलतियों को दोहराते रहते हैं,अनजाने में कई गयी गलती से दूसरों के हुए नुकसान से हम अनजान रहते है। और अनायास हीं जीवन के किसी शांत वाले पलो में उन्हें अपनी यादों में खंगालने पर सच्ची बात पता चलती है।

कुछ लोगों को उनके किये गलतियों पर कोई पश्चाताप , शर्म नही आती, उन्हें इस बात का अहसास भी नही होता कि आगे चलकर इनके क्या नतीजे होंगे खुद को बहुत होशियार समझकर हर समय उल्टे कदम चलते रहेंगे और सबसे ज्यादा नुकसान भी खुद का ही करवाते हैं।जीवन मे उत्तेजना और जवानी की रवानगी में कुछ भी कर जाते है। लेकिन उनके कर्मों के निशान उनका पीछा करते हुए उन तक अंततः पहुँच ही जाते है।

और जो लोग अहसास कर लेते हैं,"उनके लिये कहते है", "देर आये दुरुस्त आये"। समय रहते हर तरह के घाव कि भरपाई कर लेनी चाहिए जो सम्भव है। नहीं तो इन परिणतियों के अंजाम इतने बुरे होते हैं,जिसकी क्षति की भरपाई असम्भव हो जाती है। ऐसे में पश्चाताप ही एक मात्र उपाय है। नहीं तो जिंदगी अपने आप पश्चाताप करवा देगी।

जिंदगी में पीछे देखोगे तो "अनुभव" मिलेगा...,

जिंदगी में आगे देखोगे तो "आशा" मिलेगी...,

दांए-बांए देखोगे तो "सत्य" मिलेगा...,

लेकिन अगर भीतर देखोगे तो "आत्मविश्वास" मिलेगा...

सुधा प्रजापति

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