शत्रु संपत्ति की बिक्री से सरकार दूर करे कंगाली प्रधानमंत्री के सलाहकार ने सुझाया फॉर्मूला

Update: 2020-09-15 08:17 GMT

बढ़ते खर्चों से परेशान सरकार आय के नए स्रोत खोजने पर लगातार विचार कर रही है, ऐसे में निलेश शाह जो पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के अंश कालिक सदस्य हैं, ने कहा कि कोविड-19 से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और मौजूदा बढ़े खर्च को पूरा करने के लिये शत्रु संपत्ति को बेचने पर सरकार को गौर करना चाहिये, जो एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की है।

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अंश कालिक सदस्य नीलेष शाह ने आईएमसी के वेबिनार में शत्रु संपत्ति को बेचने की सरकार को सलाह दी। नीलेश शाह ने कहा, सरकार को कोविड-19 से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और मौजूदा बढ़े खर्च को पूरा करने के लिये शत्रु संपत्ति को बेचने पर गौर करना चाहिये, जो एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की है।

शाह ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने 1965 की लड़ाई के बाद शत्रु संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिये कानून बनाये। पाकिस्तान इस तरह की सारी संपत्ति को 1971 में ही बेच चुका है लेकिन भारत इस मामले में उससे 49 साल पीछे चल रहा है। आईएमसी के वेबिनार में शाह ने कहा, आपको सरकारी संपत्ति का मौद्रीकरण करना चाहिये ताकि आगे खर्च करने के लिये आपके पास धन उपलब्ध हो।

नीलेष शाह कोटक म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैं। उन्होंने कहा कि इस शत्रु संपत्ति का मूल्य तीन साल पहले एक लाख करोड़ रुपये आंका गया था। उन्होंने कहा कि इस तरह की संपत्तियों को बेचकर अतिक्रमण हटाने और मालिकाना हक की विसंगतियों को दूर करने का यह सबसे बेहतर समय है।

शाह ने कहा कि इस तरह की 9,404 संपत्तियां हैं जो कि 1965 में सरकार द्वारा नियुक्त कस्टोडियन के अधीन की गई थीं। सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के तौर तरीकों पर पूछे गये सवाल पर शाह ने कहा, इन संपत्तियों को बेच डालिये और एक लाख करोड़ रुपये की राशि प्राप्त कर लीजिये, इससे आपके खर्चे पूरे हो जायेंगे

इसी वेबिनार को संबोधित करते हुये स्टेट बैंक म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी नवनीत मुनोट ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये मामले को पूरी तरह से मौद्रिक प्राधिकरणों के ऊपर छोड़ने के बजाय राजकोषीय उपाय करने की जरूरत है। शाह ने इस मौके पर भारतीयों के पास उपलब्ध बिना हिसाब किताब वाले सोने का भी इस्तेमाल करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि इससे नये व्यय और निवेश के लिये 300 अरब डालर तक उपलब्ध हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक भारतीयों के पास 25,000 टन सोना रखा हुआ है। एक ऐसी योजना लाई जा सकती है जो इसमें से कम से कम दस प्रतिशत सोने को निकाल सके। इससे कर के रूप में 50 अरब डालर प्राप्त होंगे और 150 अरब डालर निवेश और खर्च के लिये उपलब्ध होंगे।

T वहीं, नीलेश शाह ने स्वर्ण वित्त कंपनियों के काम की सराहना करते हुये कहा उन्होंने सोने को उत्पादक कार्यों में लगाया लेकिन कहा कि उनके इस काम को और व्यापक बनाने की जरूरत है। शाह और मुनोट दोनों ने कहा कि नकदी की उपलब्धता ही है जो कि शेयर बाजार में मौजूदा तेजी का कारण बनी हुई है। पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में करीब एक चौथाई की गिरावट के बावजूद शेयर बाजार में तेजी जारी है, इसके पीछे उपलब्ध तरलता बड़ी वजह है। उन्होंने कहा कि बाजार भविष्य की बड़ी उम्मीदों से देख रहा है जिससे की बाजार में तेजी जारी है। नीलेश शाह की सलाह पर अमल हुआ तो आने वाले समय में सुस्त पड़े रियल स्टेट कारोबार को पंख लग जाएंगे।

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