इलेक्ट्राॅनिक नहीं डिजीटल मीडिया के लिए गाइडलाइन की जरूरत

इलेक्ट्राॅनिक मीडिया को रेगुलेट करने के लिए नई गाइडलाइन बनाये जाने के सुप्रीम कोर्ट के रूख से केंद्र सरकार ने असहमति जताई

Update: 2020-09-17 09:40 GMT

नई दिल्ली। इलेक्ट्राॅनिक मीडिया को रेगुलेट करने के लिए नई गाइडलाइन बनाये जाने के सुप्रीम कोर्ट के रूख से केंद्र सरकार ने असहमति जताई है।

सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से दाखिल हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के कंटेंट को लेकर कोर्ट के फैसले के अलावा पहले से नियम तय है, शिकायतों के निवारण के लिए नियामक संस्थाए मौजूद है। सभी मामलांे में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर फैसला लिया जाता है। ऐसे में सरकार ने कहा है कि नई गाइडलाइन बनाने की जरूरत नहीं है। सरकार ने कहा कि अगर कोर्ट फिर भी गाइडलाइंस बनाने की इच्छा रखता है तो सबसे पहले डिजिटल मीडिया के लिए नियम बनाने जाने की जरूरत है, जिसकी पहुंच अपने दर्शकों व पाठकों तक सोशल मीडिया के दौर में इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के मुकाबले कहीं ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट में सुर्दशन टीवी चैनल के विवादित कार्यक्रम लव जिहाद पर रोक की मांग को लेकर दायर याचिकाओ के सम्बंध में सरकार ने यह जवाब दाखिल किया। कोर्ट ने सुर्दशन टीवी के कार्यक्रम पर तो रोक लगाते हुए कहा था कि मीडिया की आजादी बेलगाम नहीं हो सकती। इसके लिए कुछ नियम जरूर होने चाहिएं। इसके लिए पांच सदस्य कमेटी के गठन की बात उसने कही थी।

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