हाईकोर्ट ने 120 किमी की रफ्तार पर लगाए ब्रेक, बोला सडकें नहीं इस काबिल

अपनी अधिसूचना में केंद्र सरकार ने दलील थी कि यह गति सीमा बेहतर सड़कों और गाड़ियों की बेहतर तकनीक को ध्यान में रखते हुए एक एक्सपर्ट कमिटी ने तय की है। लेकिन पीठ ने इसे खारिज कर दिया।

Update: 2021-09-15 06:19 GMT

नई दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की राजमार्ग पर टॉप स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे करने की अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इस अधिसूचना के अनुसार एक्सप्रेस वे पर गाड़ी चलाने की स्पीड 120 कर दी गई थी।

हाईवे पर ओवर स्पीडिंग की घटनाओं को देखते हुए जस्टिस एन किरुबाकरण (सेवानिवृत्त होने के बाद से) और जस्टिस टीवी थमिलसेल्वी की खंडपीठ ने हाल ही में 6 अप्रैल, 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया, साथ ही केंद्र और राज्य को कम गति सीमा के साथ नई अधिसूचना जारी करने का भी निर्देश दिया। अपनी अधिसूचना में केंद्र सरकार ने दलील थी कि यह गति सीमा बेहतर सड़कों और गाड़ियों की बेहतर तकनीक को ध्यान में रखते हुए एक एक्सपर्ट कमिटी ने तय की है। लेकिन पीठ ने इसे खारिज कर दिया। इसके अलावा एक सड़क दुर्घटना में 90 प्रतिशत विकलांग हुई महिला दंत चिकित्सक को दिए जाने वाले मुआवजे को बढ़ाते हुए यह आदेश पारित किए। इसी साल 3 मार्च को पीठ ने सड़क दुर्घटना में 90 फीसदी अपंगता शिकार हुए एक याचिकाकर्ता के मुआवजे की रकम 18.43 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.50 करोड़ रुपये कर दी थी।

इसके बाद केंद्र सरकार ने अपने जवाबों में गति बढ़ाने को सही ठहराते हुए कहा था कि स्पीड लिमिट बेहतर सड़कों और गाड़ियों की बेहतर तकनीक को ध्यान में रखते हुए एक एक्घ्सपर्ट कमिटी ने तय की है। लेकिन पीठ ने इस दलील को यह कहकर खारिज कर दिया कि बेहतर इंजन तकनीक और बेहतर सड़कें हैं, लेकिन मोटर चालकों द्वारा सड़क सुरक्षा नियमों के पालन में कोई सुधार नहीं हुआ।

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