बिहार में चुनाव लडने से सपा ने किया इंकार

समाजवादी पार्टी इस समर्थन के बदले कोई सीट बंटवारे जैसी मांग भी नहीं रखेगी क्योंकि पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है।

Update: 2020-09-23 07:41 GMT

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी को समर्थन देने का ऐलान किया है। यह भी पता चला है कि समाजवादी पार्टी इस समर्थन के बदले कोई सीट बंटवारे जैसी मांग भी नहीं रखेगी क्योंकि पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है।

बिहार चुनाव में मुख्य मुकाबला नीतीश के नेतृत्व में सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन के बीच है। एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, लोजपा के साथ ही जीतन राम मांझी की हम प्रमुख पार्टी है वहीं महागठबंधन में लालू यादव की आरजेडी, कांग्रेस, रालोसपा जैसी पार्टियां प्रमुख हैं। समाजवादी पार्टी ने सोमवार देर रात ट्वीट कर ये जानकारी दी कि पार्टी बिहार में गठबंधन नहीं कर रही है। सपा विधानसभा चुनावों में आरजेडी उम्मीदवारों का समर्थन करेगी।

समाजवादी पार्टी भले ही बिहार में बहुत प्रभाव वाली पार्टी न हो लेकिन पार्टी फिर भी कोर वोट के जरिए पार्टी महागठबंधन को फायदा जरूर पहुंचा सकती है। यहां ये बात याद रखनी होगी कि यही समाजवादी पार्टी है जिसने 2015 के चुनाव में महागठबंधन को झटका दे दिया था। 2015 में सपा पहले महागठबंधन में शामिल हुई लेकिन चुनाव के पहले पार्टी ने खुद को महागठबंधन से अलग कर लिया था। हालांकि उस बार की सपा में अंतर ये है कि तब पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव हुआ करते थे जबकि अब पार्टी की बागडोर उनके बेटे युवा नेता अखिलेश यादव के हाथ में है। इस बार अखिलेश यादव ने पहले ही पार्टी को किसी भी गठबंधन का हिस्सा न बनाते हुए आरजेडी को समर्थन का ऐलान कर दिया है।

बिहार की राजनीति में सबसे प्रमुख समीकरण मुस्लिम-यादव वोटों का समीकरण है। एमवाई वोट बिहार में 30 प्रतिशत हैं और ये आरजेडी का खास वोट बैंक है। अभी तक के चुनाव नतीजे तो यही बताते हैं। इनमें मुस्लिम मतदाता 16 प्रतिशत हैं और यादव हैं 14 प्रतिशत। यादवों के आरजेडी के साथ होने की खास वजह है कि पार्टी के मुखिया लालू प्रसाद खुद यादव हैं। ऐसे में सपा का चुनाव ना लडने का फैसला आरजेडी के लिए मददगार साबित होगा।

Similar News