किसानों ने सरकार का वार्ता का प्रस्ताव फिर ठुकराया

किसान नेताओं ने कहा कि 500 से ज्यादा संगठन, लेकिन न्योता केवल 32 को दिया गया इसलिए हम बातचीत के लिए नहीं जाएंगे

Update: 2020-12-01 06:01 GMT

नई दिल्ली। तीन कृकृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन के छठे दिन भी हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के सिंघू बाॅर्डर पर डटे रहे। सोमवार को केंद्रीय कृकृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों को बातचीत के लिए आमंत्रित करते हुए मंगलवार दोपहर 3 बजे बातचीत के लिए बुलाया था। इस पर पंजाब किसान संघर्ष समिति ने कहा है कि जब तक सरकार सभी किसान संगठनों को नहीं बुलाती, वो बातचीत के लिए नहीं जाएंगे।

आज एक तरह से इस निमंत्रण को ठुकराते हुए पंजाब किसान संघर्ष समिति के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह सबरान ने कहा कि देशभर में इस समय किसानों के 500 से ज्यादा संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने केवल 32 संगठनों को ही बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। बाकी संगठनों को सरकार ने बातचीत के लिए नहीं बुलाया है। ऐसे में हम तब तक सरकार के पास बातचीत के लिए नहीं जाएंगे, जब तक सभी संगठनों को नहीं बुलाया जाता।

आपको बता दें कि सोमवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए पहले भी तैयार थी और आज भी तैयार है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, किसानों से बातचीत के लिए उन्होंने मंगलवार को दोपहर 3 बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों को आमंत्रित किया है। सरकार ने पहले ही 13 नवंबर को यह निश्चित किया था कि 3 दिसंबर को किसान संगठनों से अगले दौर की बातचीत की जाएगी, लेकिन कोरोना वायरस के हालात और बढ़ती ठंड के बीच किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए हम दो दिन पहले ही उन्हें बातचीत के लिए बुला रहे हैं। कृषि कानूनों के बारे में किसानों के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है और सरकार बातचीत के जरिए उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। 

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