शुकतीर्थ आ रही सरकार, गंगा की जलधारा बीमार
- प्रदूषण विभाग की लापरवाही से हर साल बढ़ता जा रहा तीर्थ नगरी में बाण गंगा का प्रदूषण स्तर, हानिकारक कैमिकल होने की हो रही पुष्टि, गंगा दशहरा स्नान पर पहुंचे श्रद्धालु काले और गंदे पानी से दिखे परेशान
;
मुजफ्फरनगर। नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विशेष तौर पर कार्य करने का दावा कर रहा है। इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में अपनी पहचान रखने वाली श्रीमद भागवत उदगम स्थली शुकतीर्थ में बहती बाण गंगा लगातार प्रदूषित हो रही है। इसकी जलधारा को स्वच्छ बनाने के लिए राज्य सरकार ने विशेष तौर पर बजट और दिशा निर्देश जारी किये, नमामि गंगे में भी प्रदूषण विभाग को पैसा मिल रहा है, लेकिन आलम यह है कि जलधारा की सेहत सुधरने के बजाये ये लगातार बीमार होती नजर आ रही है। अब शुकतीर्थ आ रहे मुख्यमंत्री के समक्ष साधु संतों ने मैली, कुचेली और काले पानी का पर्याय बनती इस नदी की दुर्दशा पर समस्या रखने की तैयारी की है।
पौराणिक तीर्थ नगरी शुकतीर्थ में बह रही बाण गंगा में फिर से काला पानी बहने लगा है। इसके चलते बाण गंगा में रहने वाले मछलियां समेत जलीय जीवों की मौत हो रही है, तो वहीं नदी में बढ़ रहे प्रदूषण से इस तीर्थ नगरी के पंडित-पुरोहित और साधु-संतों में भारी रोष बना हुआ है। गुरूवार को जब गंगा स्नान के लिए यहां पर हजारों श्र(ालु पहुंचे तो यहां उनको स्वच्छ जलधारा के बजाये मैली और काले पानी का एक स्रोत मिला, जिसमें न जाने कितने घातक कैमिकल का समावेश होने की बात लोग करते रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 जुलाई 2024 को इस महाभारतकालीन तीर्थ में गंगा की धारा पहुंचाने की घोषणा की थी। इसके बाद से उत्तराखंड के सहारे सोलानी में पानी लाया गया, यह जलधारा कुछ दिन ही स्वच्छ रही लेकिन इसके बाद प्रदूषण विभाग की अनदेखी और बजट की बंदरबांट की नीति के कारण लगातार ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सोलानी के सहारे शुकतीर्थ में गंगा की जलधारा लेकर आने वाली बाण गंगा में रहने वाली मछलियों की मौत प्रदूषण बढ़ने के कारण होने लगी है। गंगा घाट के पंडित और पुरोहितों रोष है तो गंगा स्नान के लिए आये लोगों को यहां स्वच्छ जल नहीं मिलने से साधु संतों में भी आक्रोश बना है। श्री गंगा सेवा समिति के महामंत्री महकार सिंह ने बताया कि उन्होंने बाण गंगा में काली पानी आने की सूचना प्रशासन को कई बार दी है, लेकिन न तो प्रदूषण विभाग और न ही कोई प्रशासनिक स्तर पर इसके लिए कार्यवाही की गई और लगातार जल प्रदूषित हो रहा है। काला और बदबूदार पानी आस्था का आघात पहुंचा रहा है।
शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज, हनुमत धाम के महामंडलेश्वर स्वामी केशवानंद महाराज, स्वामी गुरुदेवेश्वराश्रम जी महाराज, महामंडलेश्वर गोपाल दास महाराज, स्वामी वेददास महाराज, बाबा कृपालदास महाराज, गीतानंद महाराज, पुरुषोत्तम पुरी, स्वामी भजनानंद महाराज, आचार्य विष्णु महाराज आदि का कहना है कि गंगाजी में बार-बार काला पानी छोड़े जाने से सनातन समाज के लोगों की आस्था को ठेस पहुंच रही है। आज गंगा दशहरा के अवसर पर भी स्नान के लिए श्रद्धालुओं को स्वच्छ जलधारा नहीं मिली है। उनका कहना है कि शासन-प्रशासन को मामले में ठोस कार्रवाई के लिए कई बार अवगत कराया गया, लेकिन अब वो सभी मिलकर 11 जून को शुकतीर्थ आ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष इस मुद्दे को उठायेंगे ताकि शुकतीर्थ में एक स्वच्छ जलधारा के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। कहा कि सरकार ने शुकतीर्थ के विकास के लिए शुकतीर्थ विकास परिषद् बनाकर विशेष बजट दिया है, लेकिन केवल पैसे की बंदरबांट कर कागजी खानापूरी हो रही है।
2022 के बाद लगातार बढ़ा शुकतीर्थ नदी में प्रदूषण, विभाग मौन
मुजफ्फरनगर। शुकतीर्थ में बाण गंगा की जलधारा के लगातार प्रदूषित होने और यहां काला तथा बदबूदार पानी आने के कारण नयन जागृति ने भी अपनी गहन पड़ताल की है। आंकड़ों की बिसात पर शुकतीर्थ की जलधारा की स्वच्छता को परखने का काम भी किया गया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से प्रतिमाह जो डिजीटल रिपोर्ट जारी की जाती है। उसकी पड़ताल जाये तो साल 2022 में पूरे साल ही शुकतीर्थ की जलधारा स्वच्छ रही और इसको बी श्रेणी में रखा गया। इसमें टोटल कोलीफार्म और फीकल कोलीफार्म शून्य पाया गया था। डीओ अधिकतम 8.2 और बीओडी 2 रहा।
इसके बाद जनवरी 2023 से ही शुकतीर्थ बाण गंगा की जलधारा की सेहत खराब होने लगी और 2022 में टोटल कोलीफार्म और फीकल कोलीफार्म शून्य था, लेकिन 2023 में जुलाई माह के आंकड़े देखे तो यह घातक स्तर 2200 और 1700 तक पहुंच गया और श्रेणी भी बी से ई पर जा पहुंची। यही स्थिति 2024 में भी रही और पूरे साल की श्रेणी सी बनी रही। 2025 की बात करें तो अपै्रल माह के आंकड़ों में भी कोई सुधार नहीं है, लगातार सेहत खराब ही साबित हो रही है। अपै्रल माह में भी सी श्रेणी बनी हुई है। इसमें कालीफार्म और फीकल कालीफार्म की मात्रा काफी अधिक रही है। शुकतीर्थ में गंगा जलधारा की लगातार बिगड़ती सेहत और इसके सहारे आस्था को लगती ठेस के बावजूद भी प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लापरवाही की नींद में हैं। विभागीय मौन यहां पैसे की बर्बादी और बंदरबांट के आरोपों को भी साबित करने का इशारा करता है।
कार्यालय से गायब रहते हैं आरओ, विभाग का दावा हो रहा काम
मुजफ्फरनगर। शुकतीर्थ में गंगा की जलधारा के प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी गीतेश चन्द्रा का कहना है कि शुकतीर्थ बाण गंगा में जल प्रदूषण को रोकने के लिए लगातार काम हो रहा है। उन्होंने बताया कि अभी उनको ज्यादा जानकारी नहीं है, वो इस सम्बंध में आंकड़ों के हिसाब से जानकारी करते हुए ही पूरी जानकारी दे पायेंगे। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि शुकतीर्थ में नदी के प्रदूषण के लिए काफी काम विभाग ने किया है और वर्तमान में जल प्रदूषण कम हुआ है। डीएम भी वहां पर लगातार सफाई अभियान चलवा रहे हैं। वहीं लोगों का कहना है कि प्रदूषण विभाग के आरओ ज्यादातर समय अपने कार्यालय से गायब ही रहते हैं, जिस कारण उनसे मुलाकात करने के लिए लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।