देवबन्द मे जैन समाज ने जैन धर्म के 23वें तीर्थकर श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण महोत्सव धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया
देवबंद. देवबन्द मे जैन समाज ने जैन धर्म के 23वें तीर्थकर श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण महोत्सव धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया सकल जैन समाज , श्री दिगंबर जैन पंचायत समिति व वर्षायोग समिति ने आराध्य धाम प्रेणता आचार्य श्री 108 अरुण सागर जी महाराज के सानिध्य में 31 जुलाई 2025 दिन गुरुवार को श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ मंदिर जी सारगवाड़ा , श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर जी बहारा , श्री दिगंबर जैन मंदिर जी कानूनगयान , श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर नेचलगढ़ मे भगवान पार्श्वनाथ के समक्ष क्रमशः श्री रविंद्र कुमार रजत कुमार सजल जैन अर्णव जैन , श्री महिपाल मुकेश कुमार वैभव जैन , श्री महिपाल अजय कुमार शुभम ऋषभ जैन , श्री महेशचंद रजनीश कुमार नमन जैन अक्षत जैन , श्रीपाल प्रवीण कुमार जैन ने बोली द्वारा 23-23 किलो के निर्वाण लाडडू अर्पित किए । इससे पूर्व महाराज श्री के सानिध्य में श्री जी का अभिषेक,शांतिधारा, पूजा-अर्चना, भक्तांमर विधान कराया गया। जिसमें प्रथम शांतिधारा श्री संदीप कुमार नमन रजत जैन और द्वितीय शांतिधारा श्री अतुल कुमार अंकित हर्षित जैन ने सौभाग्य प्राप्त किया। श्रीजी की पूजा-अर्चना करके व चारों जैन मंदिर में निर्वाण लाडडू चढा़ने के उपरांत महाराज श्री की आहारचर्या डॉक्टर डी.के. जैन के यहां हुई।
महाराज श्री ने अपने प्रवचन में भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक पर कहा की जैन धर्म में, भगवान पार्श्वनाथ 23वें तीर्थंकर थे, और सम्मेद शिखर (पारसनाथ पर्वत) पर उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ था। निर्वाण लड्डू चढ़ाने का कार्य, भगवान पार्श्वनाथ के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करने का एक तरीका है। साथ ही उन्होंने अपने प्रवचन में भक्तांमर विधान के 21वें काव्य को पढ़कर इसका भवार्थ बताया कि इस पृथ्वी पर मैने विष्णु और महादेव देखे, तो ठिक हि है, क्योंकि उन्हे देखकर आपको देखने के बाद मन तृप्त हुआ, हृदय को संतोष प्राप्त हुआ, अच्छा हुआ, कि मैने उन्हे पहले देखा, अन्यथा एक बार आपको देखने के बाद क्या इस पृथ्वी का और कोई भि देव जन्म जन्मांतर मे भायेगा? अर्थात आपके समान कोई देव नही, आपकि किसीसे तुलना नही, जो एक बार आपके दर्शन कर ले, आपके चरण मे आ जाये, फिर उसे कोई अन्यमत कि प्रशंसा नही होती। आपका वीतराग रुप हि मन को शांति तथा स्थिरता प्रदान करता है। इस निर्वाण मोहत्सव मे सुदेश जैन, अतुल जैन, अनुज जैन, सुनील जैन,सतिश जैन, अंकित जैन, अखिल जैन , अजय जैन , मोनी जैन, मनोज जैन(पिल्लो), नूतन जैन सुनीता जैन,संगीता जैन,नेहा जैन सविता जैन,डोली जैन, नीलिमा जैन शिल्पी जैन,स्वाति जैन आदि उपस्थित रहे।