अस्थमा के लिये बेहद कारगर साबित हो सकती हैं आयुर्वेदिक औषधियां

Update: 2020-08-08 11:00 GMT

अस्थमा के रोगियों को वैसे तो कदम-कदम पर सावधान रहना चाहिए, लेकिन धूल और धुआं ऐसे रोगियों के लिये जहर का काम करता है, इसलिए धूल और धुएं से जहां तक हो, अधिक से अधिक बचा जाना चाहिए। आपको बता दें कि वातावरणीय कारकों से फैल रही एलर्जी के कारण अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ बदलती जीवनशैली और प्रदूषण के कारण भी अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं। कुछ आयुर्वेदिक औषधियां इसमें काफी राहत देती हैं। श्वास नलियों में सूजन से चिपचिपा बलगम इकट्ठा होने, नलियों की पेशियों के सख्त हो जाने के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे ही अस्थमा कहते हैं। अस्थमा किसी भी उम्र में यहां तक कि नवजात शिशुओं में भी हो सकता है

अस्थमा के रोगियों के लिये कुछ जरूरी उपाय बताये जा रहे हैं, जिन पर अवश्य ध्यान देना चाहिए- धूल, मिट्टी, धुआं, प्रदूषण होने पर मुंह और नाक पर कपड़ा ढकें। सिगरेट के धुएं से भी बचें। ताजा पेन्ट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने की काॅइल का धुआं, खुशबूदार इत्र आदि से यथासंभव बचें। रंगयुक्त व फ्लेवर, एसेंस, प्रिजर्वेटिव मिले हुए खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।

कारगर जड़ी-बूटियांः वासा- यह सिकुड़ी हुई श्वसन नलियों को चैड़ा करने का काम करती है। कंटकारी- यह गले और फेफड़ों में जमे हुए चिपचिपे पदार्थों को साफ करने का काम करती है। पुष्करमूल- एंटीहिस्टामिन की तरह काम करने के साथ एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर औषधि। यष्टिमधु- यह भी गले को साफ करने का काम करती है।  

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