शरीर को हष्ट-पुष्ट रखने के लिये करें हरड़ का उपयोग

Update: 2020-08-24 08:21 GMT

यदि आप पूरी तरह से हष्ट-पुष्ट रहना चाहते हैं तो खाने में हरड का प्रयोग अवश्य करें। आपको यह जानकारी भी होनी आवश्यक है कि शास्त्र में इसकी सात जातियां बतायी गयी है। विजया, रोहिणी, पूतना, अमृता, अभया, जीवंती और चैतकी। व्यावहारिक दृष्टिकोण से तीन प्रकार की होती है। छोटी हर्रे, पीली हर्रे और बड़ी हर्रे। यह तीनों एक ही वृक्ष के फल है। यह काॅम्ब्रेटेसी परिवार का पौधा है। इसका उपयोगी भाग फल है। इसका वृक्ष विशाल लगभग 80-100 फीट ऊंचा होता है। फूल छोटा, सफेद या पीले रंग का होता है। फल एक से डेढ़ इंच लंबा अंडाकार, पृष्ठ भाग पर पांच रेखाओं से युक्त, कच्चा में हरा, पकने पर धूसर पीला रंग का हो जाता है। प्रत्येक फल में एक बीज होता है। पके हुए फलों का संग्रहण अप्रैल-मई माह में करना चाहिए। यह कफ वात व पित जनित रोगों में उपयोगी है। पाचन शक्ति बढ़ती है। खांसी, सांस, कुष्ठ, बवासीर, पुराना ज्वर, मलेरिया, गैस, अपच, प्यास, त्वचा रोग, पेशाब की जलन, आंखों के रोग, दस्त, पीलिया आदि में लाभदायक है। खट्टेपन से वात रोगों को दूर करती है। चटपटेपन से पित रोग और कसैलेपन से कफ का नाश करती है। इसका सेवन बरसात में सेंधा नमक के साथ, जोड़ों में मिश्री के साथ, हेमंत )तु में सोंठ के साथ, बसंत )तु में शहद के साथ, गर्मी में गुड़ के साथ करना चाहिए। खाना खाने से पहले इसे लेने से भूख बढ़ती है। बाद में खाने से खाना आसानी से पचता है। छोटी हर्रे का चूर्ण लगभग चार से छह ग्राम रात में भोजन करने के एक से दो घंटे बाद पानी के साथ प्रयोग करने से कब्ज की समस्या दूर होती है। इसका चूर्ण गुड़ व गिलोथ के काढ़े के साथ प्रयोग करने से गठिया में आराम मिलता है। इसका चूर्ण दो ग्राम गुड़ के साथ खाना चाहिए। छोटी हर्रे को सुपारी की तरह छोटा-छोटा टुकड़ा कर लें और दिन में खाना खाने के बाद लगभग एक टुकड़े को मुंह में डाल कर अच्छी तरह से चबाना चाहिए।

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