पुलिस हिरासत से फरारी में सिपाही और अभियुक्त को एक साल की सश्रम सजा
न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषी माना, एक-एक हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया;
मुजफ्फरनगर। न्यायालय की हिरासत से अभियुक्त के फरार होने के मामले में कोर्ट मोहर्रिर सहित दोनों आरोपियों को एक वर्ष की सज़ा और एक-एक हजार रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गई है। यह निर्णय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कविता अग्रवाल की अदालत ने सुनाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 18 नवंबर 2023 को एक मामले में वांछित अभियुक्त सुमित कुमार को न्यायिक हिरासत में एडीजे-15 की कोर्ट में पेश किया गया था। अभियुक्त को पुलिस सिपाही पवन कुमार, जो कि कोर्ट मोहर्रिर के रूप में तैनात थे, की सुपुर्दगी में दिया गया था, लेकिन कोर्ट मोहर्रिर की ड्यूटी के प्रति बरती गई घोर लापरवाही के चलते सुमित कुमार फरार हो गया।
घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन उप निरीक्षक आदेश कुमार, थाना सिविल लाइन ने सिपाही पवन कुमार और फरार अभियुक्त सुमित कुमार के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 223 ;कैदी को भगाने में सहायताद्ध और 224 ;पुलिस हिरासत से भागनाद्ध के अंतर्गत मामला पंजीकृत कर जांच प्रारंभ की थी। जांच के उपरांत आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन अधिकारी के. सी. मौर्य ने मामले की गंभीरता को उजागर करते हुए आरोपियों के विरु( ठोस सबूत पेश किए। न्यायालय ने तर्कों और साक्ष्यों के आधार पर दोनों आरोपियों को दोषी मानते हुए एक वर्ष का सश्रम कारावास और 1000 रुपये का जुर्माना अधिरोपित किया। इस निर्णय से न्यायिक प्रणाली में जवाबदेही और अनुशासन की महत्ता एक बार फिर सि( हुई है। पुलिस विभाग को भी अपने कार्यों में और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।