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अडानी ग्रुप में 43 हजार करोड़ निवेश करने वाली कंपनियों के खाते फ्रीज

सूत्रों का कहना है कि इन फंड्स और अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमत में बेतहाशा वृद्धि का कनेक्शन भी रडार पर है।

अडानी ग्रुप में 43 हजार करोड़ निवेश करने वाली कंपनियों के खाते फ्रीज
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मुंबई। नेशनल सिक्योरिटीज डिपाॅजिटरी लिमिटेड ने तीन विदेशी फंड्स के अकाउंट्स फ्रीज कर दिए हैं। इनके पास अडानी ग्रुप की 4 कंपनियों के 43,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के शेयर हैं। इस एक्शन के बाद अरबपति कारोबारी गौतम अडानी की अगुआई वाले अडानी ग्रुप के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।

ये तीनों विदेशी फंड्स बदले हुए नए नियमों के तहत अपनी जानकारी अपडेट नहीं कर रहे थे। साथ ही कई महत्पूर्ण जानकारी छुपा रहे थे। वहीं, दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेबी इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या अडानी ग्रुप के शेयरों में प्राइस मैन्युपुलेशन किया गया है। यानी शेयरों की कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि किसी जोड़-तोड़ के जरिए तो नहीं की गई। पिछले 1 साल में अडानी ग्रुप के शेयरों में 200-1000 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। सूत्रों के मुताबिक सभी घटनाओं के बीच कनेक्शन और पूरा मामला सेबी के रडार पर है। मामले के एक जानकार ने कहा कि सेबी ने 2020 में अडानी के शेयरों में बेतहाशा तेजी के मामले की जांच शुरू की थी, जो अब भी चल रही है। इन तीनों फंड्स की अडानी एंटरप्राइजेज में 6.82 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 8.03 फीसदी, अडानी टोटल गैस में 5.92 फीसदी और अडानी ग्रीन में 3.58 फीसदी हिस्सेदारी है। प्रीवेंशन आॅफ मनी लाॅन्ड्रिंग एक्ट के तहत बेनिफिशियल ओनरशिप के बारे में पूरी जानकारी देनी जरूरी है। लेकिन ये फंड्स जानकारी नहीं दे रहे थे। बिजनेस डेली रिपोर्ट के मुताबिक, ये तीनों फंड्स सेबी में विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के तौर पर रजिस्टर्ड हैं। ये माॅरिशस के च्वतज स्वनपे शहर के एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं। इनकी कोई अपनी वेबसाइट भी नहीं है। कैपिटल मार्केट्स रेग्युलेटर ने 2019 में एफपीआई के लिए केवाईसी डाॅक्युमेंटेशन को पीएमएलए के मुताबिक कर दिया था। फंड्स को 2020 तक नए नियमों का पालन करने का समय दिया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नियमों के मुताबिक एफपीआई को कुछ अतिरिक्त जानकारी देनी थी। इनमें काॅमन ओनरशिप का खुलासा और फंड मैनेजर्स जैसे अहम कर्मचारियों की पर्सनल डिटेल शामिल थी। लेकिन ये तीनों फंड्स ये जानकारी नहीं दे रहे थे। सूत्रों का कहना है कि इन फंड्स और अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमत में बेतहाशा वृद्धि का कनेक्शन भी रडार पर है। अगर ये फंड्स ओनरशिप की जानकारी नहीं देते हैं तो ये मामला और गंभीर हो जाएगा।

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