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क्या इस डाॅक्टर के जज्बे को आप नहीं करेंगे सलाम

कोरोना में पिता, मां और भाई को खोने के बाद भी मरीजों के इलाज में जुटी है यह डॉक्टर

क्या इस डाॅक्टर के जज्बे को आप नहीं करेंगे सलाम
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नोएडा। आज कोविड के चलते चिकित्सा व्यवसाय से जुडे लोगों पर भारी दबाव है। इसके बावजूद हौसले की मिसाल बनी इस चिकित्सक को सलाम करने का मन करता है। कोविड से अपने पिता, मां और भाई को खोने के बावजूद डॉक्टर स्वप्ना जिस तहर कोविड रोगियों के इलाज में जुटी हैं वह अपने आप में उदाहरण है। सितम यह कि सेवा में जुटी स्त्री रोग चिकित्सक डॉक्टर स्वप्ना अपने परिजनों को अंतिम विदाई देने भी नहीं पहुंच सकी। उनके पति भी पेशे से डॉक्टर हैं और कोविड रोगियों का इलाज कर रहे हैं।

निजी और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मुश्किल परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में 40 से 50 फीसदी डॉक्टर और कर्मचारी कोरोना से पीड़ित हैं। ऐसे में बाकी सरकारी डॉक्टरों की छुट्टी रद्द हैं और उनके अपने कोरोना से जूझ रहे हैं। ऐसे डॉक्टर भी हैं, जिनके अपने इस बीमारी से गुजर गए हैं लेकिन वे उन्हें देख तक नहीं सके। बताया गया है कि मूलरूप से बिहार के मुजफ्फरपुर की निवासी डॉ. स्वप्ना सेक्टर 24 स्थित ईएसआई अस्पताल में कार्यरत हैं और सेक्टर 15 में पति व दो बच्चों के साथ रहती हैं। उनकी जिम्मेदारी कोविड महिलाओं के प्रसव और उनके इलाज की है। पति सेक्टर 62 स्थित एक निजी अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और उनकी ड्यूटी भी कोविड रोगियों के क्रिटिकल केयर में हैं। पिछले साल अगस्त में डॉ. स्वप्ना के पिता की मृत्यु हो गई थी। अधिक उम्र होने के कारण उन्हें कोविड ने जकडा और उनकी मृत्यु हो गई। आठ दिन पहले कोविड पीड़ित उनकी मां को मुजफ्फरपुर के किसी भी अस्पताल में बेड नहीं मिला और उन्होंने कोरोना से दम तोड दिया। उनके 39 वर्षीय भाई फरीदाबाद की आईटी कंपनी में एचआर थे। पिछले साल कोविड के बाद वे मुजफ्फरपुर जाकर वर्क फ्राम होम कर रहे थे। सात दिन पहले कोविड की पुष्टि के बाद एम्स पटना में दाखिला मिल गया था। बुधवार रात एक बजे उनकी मृत्यु हो गई। अब उनके घर में सिर्फ एक भाई और उसका परिवार है। छोटा भाई ही मम्मी और भाई को इलाज के लिए लेकर दौड़ रहा था। उसको और परिवार को क्वारंटाइन कर दिया गया है। महामारी में मरीजों के इलाज को अपना पहला कर्तव्य बताने वाली डाॅ स्वपना को सिर्फ बच्चों की चिंता होती है। डर रहता है कि कोविड ड्यूटी के चलते कहीं उनके जरिए घर में कोरोना संक्रमण न पहुंच जाए।

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