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जमीन घोटाले में निलंबित होंगी पूर्व डीएम

जमीन घोटाले में निलंबित होंगी पूर्व डीएम
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गाजियाबाद।बड़े घोटाले में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले रिश्तेदारों को जमीन खरीदवाकर 8 से 10 गुना मुआवजा राशि दिलाकर तत्कालीन डीएम निधि केसरवानी और विमल कुमार शर्मा ने सरकार को करीब 25 करोड़ का नुकसान पहुंचाया था। उनके निलंबन की कार्यवाही की जा रही है। दोनों ने आर्बिटेशन कोर्ट में सारे नियमों को दरकिनार कर मुआवजा राशि तय कर दी थी। धारा तीन डी की कार्रवाई होने के बाद जमीन खरीदी या बेची नहीं जा सकती, लेकिन इस मामले में इस धारा के बाद भी जमीनें खरीदी गईं। शिकायत पर तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने जांच की तो खुलासा हुआ। उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अब प्रदेश सरकार ने कार्रवाई की है।

यह घोटाला चार गांवों डासना, नाहल, कुशलिया और रसूलपुर सिकरोड गांवों की जमीन अधिग्रहण में किया गया था। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए वर्ष 2011-12 में 71.14 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की गई थी। 2013 में यहां अवार्ड (मुआवजा राशि) घोषित किया गया था। 2016 में क्षेत्र के 23 किसानों ने मंडलायुक्त से शिकायत की थी। उनका कहना था कि उनकी जमीन एक्सप्रेस-वे में अधिग्रहीत की गई है, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने अपने स्तर पर जांच कराई तो भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। यहां तत्कालीन एडीएम भू-अर्जन घनश्याम सिंह के बेटे शिवांग राठौर के नाम पर भी शासन की बिना अनुमति के जमीन खरीदी गई थी। पूर्व मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने दोनों पूर्व डीएम का नाम अपनी रिपोर्ट में शामिल कर उन पर न केवल कार्रवाई की संस्तुति की थी, बल्कि इस घोटाले की विशिष्ठ जांच एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश भी की थी।

उन्होंने सितंबर 2017 में जांच रिपोर्ट शासन और प्रदेश सरकार को भेजी। रिपोर्ट में तत्कालीन डीएम विमल शर्मा और निधि केसरवानी को जांच में दोषी पाया था। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि भूमि अधिग्रहण के लिए धारा-3 (डी) लागू होने के बाद भी किसानों से जमीन खरीदकर बैनामे कराए गए, जबकि जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लग गई थी। जांच में आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता) के 9 ऐसे मामलों को पकड़ा गया है जो विमल शर्मा व निधि केसरवानी की कोर्ट में तय हुए और करीब 8 से 10 गुना से अधिक का मुआवजा दे दिया गया।

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