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कुतुबमीनार मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खड़े किए कई सवाल

कुतुबमीनार मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खड़े किए कई सवाल
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नई दिल्ली। कुतुबमीनार में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की साकेत कोर्ट ने पूछा कि भले ही यह मान लिया गया हो कि इसे ध्वस्त कर ढांचा खड़ा किया गया था, लेकिन कानूनी अधिकार क्या है जो आपको अधिकार देता है।

अदालत ने कहा कि यह मानते हुए कि मुसलमानों द्वारा मस्जिद के रूप में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था, तो महत्वपूर्ण सवाल यह है क्या अब आप दावा कर सकते हैं इसे किस आधार पर बहाल किया जाए। अदालत ने कहा अब आप चाहते हैं कि इस स्मारक को मंदिर में बदल दिया जाए, इसे जीर्णोद्धार कहा जाए, मेरा सवाल यह है कि आप यह कैसे दावा करेंगे कि वादी को यह मानने का कानूनी अधिकार है कि यह लगभग 800 साल पहले मौजूद था?

इसके जवाब में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने कहा कि जब कोई मंदिर है जो मस्जिद से बहुत पहले अस्तित्व में था, तो उसे बहाल क्यों नहीं किया जा सकता। इसके जवाब में अदालत ने कहा है कि अगर इसकी इजाजत दी गई तो संविधान के ताने-बाने, धर्मनिरपेक्ष चरित्र को नुकसान होगा।

याचिका में कुतुब मीनार में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां के मौजूद होने का दावा करते हुए पूजा करने का निर्देश देने की मांग की गई है। साकेत कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी है।

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