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32 साल पहले आंतकियों की गोली के शिकार हुए कश्मीरी का श्राद्ध काशी में

बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर और द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोनी के साथ निर्वासित कश्मीरी भी काशी आएंगे।

32 साल पहले आंतकियों की गोली के शिकार हुए कश्मीरी का श्राद्ध काशी में
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दिल्ली। कश्मीर में 32 साल पहले आंतकियों की गोली के शिकार हुए कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शांति के लिए मोक्ष की नगरी काशी में त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि श्राद्ध अनुष्ठान 15 जून को डॉ. संतोष ओझा के द्वारा किया जाएगा। डॉ. संतोष ओझा 22 साल से आगमन सामाजिक संस्था पेट में पल रही बेटियों को जन्म लेने के अधिकार की आवाज को सामाजिक आंदोलन की तरह चला रहे है। पेट में मारी गई बेटियों के मोक्ष के लिए पिछले आठ साल से डॉ. संतोष ओझा काशी में पितृ पक्ष की नवमी तिथि को श्राद्ध करते आ रहे हैं। अब उन्होने 32 साल पहले कश्मीर मे आतंकियो द्वार मारे गए कश्मीरीयो के मोक्ष के लिए काशी मे त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि श्राद्ध अनुष्ठान का आयोजन कराने का निर्णय लिया है। पिशाच मोचन कुंड में होने वाले इस अनुष्ठान को 51 ब्राह्मण संपन्न कराएंगे। सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना के सहयोग से होने वाले इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर और द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोनी के साथ निर्वासित कश्मीरी भी काशी आएंगे।

श्राद्धकर्ता और आयोजन के संयोजक डॉ संतोष ओझा ने बताया कि इस अनुष्ठान का समस्त विधि-विधान उनके द्वारा किया जाएगा, जबकि आचार्यत्व पं. चंद्रमौलि उपाध्याय करेंगे। इस अनुष्ठान में हर किसी की सहभागिता के लक्ष्य के तहत आयोजक मंडल में 9 राज्य के निवासियों को जोड़ा गया हैं। डॉ. ओझा ने बताया कि कश्मीर में हजारों लोग आतंकियों के शिकार हो गए। उनमें से ऐसे न जाने कितने परिवार होंगे जिनका श्राद्ध तक नहीं हुआ होगा।

सनातन हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ऐसी अकाल मृत्यु के बाद विशेष श्राद्ध अनिवार्य होता है। इसके लिए त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि करने का प्रावधान है। यह श्राद्ध काशी में और पिशाच मोचन कुंड पर ही संभव है। इस वजह से इसका आयोजन करने का फैसला लिया गया है। अनुष्ठान 15 जून की दोपहर काशी के पिशाचमोचन कुंड पर कर्मकांड संपादित कराने के बाद शाम को दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति संग गंगा पूजन, दीपदान और श्रद्धांजलि दी जाएगी। उस दिन की गंगा आरती कश्मीर में जान गंवाने वालों के सम्मान में समर्पित होगी।


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