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हिंदू मैरिज ऐक्ट में समलैंगिक विवाह का केंद्र सरकार ने किया विरोध

साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया है। इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है।

हिंदू मैरिज ऐक्ट में समलैंगिक विवाह का केंद्र सरकार ने किया विरोध
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नई दिल्ली। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिकों की शादी का केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया है।

समलैंगिक विवाह को हिंदू मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने के लिए लगाई गई जनहित याचिका को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया है। इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है। समलैंगिकों की शादी को लेकर शीर्ष अदालत ने कोई फैसला नहीं दिया है। ऐसे में समलैंगिकों की शादी को कानूनी मान्यता की मांग नहीं की जा सकती। इस मामले पर अब 21 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उन लोगों की लिस्ट मांगी जिन लोगों को हिंदू मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक शादी का रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया गया था। लेकिन याचिका कर्ता कोई ऐसी सूची नहीं सौंप सके। केंद्र सरकार ने भी संस्कृति और कानून का हवाला देते हुए कोर्ट में समलैंगिक शादी का विरोध किया। एलजीबीटी समुदाय के चार सदस्यों ने मिलकर 8 सितंबर उक्त याचिका दायर की थी। दिल्ली के चीफ जस्टिस एचसी डीएन पटेल और जज प्रतीक जालान की बेंच में इसकी सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि कि हिंदू मैरिज एक्ट ये नहीं कहता कि शादी महिला-पुरुष के बीच ही हो। साल 2018 से भारत में समलैंगिकता अपराध नहीं है, लेकिन फिर भी समलैंगिक शादी अपराध क्यों है।

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