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इससे पहले भी दो बार मौत को मात दे चुके थे सीडीएस जनरल बिपिन रावत

28 साल पहले पाकिस्तानी गोली लगी 6 साल पहले हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ परंतु हर बार मौत को मात देकर अपने देश की सेवा मे लगे रहे लेकिन इस इस बार मौत ने कसकर पकड़ लिया

इससे पहले भी दो बार मौत को मात दे चुके थे सीडीएस जनरल बिपिन रावत
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नई दिल्ली। भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत एक बहादुर और काबिल अफसर थे। उनके साथ हुई इस दुर्घटना ने पुरे देश को गमहीन कर दिया। लेकिन आपको बता दे कि इससे पहले भी सीडीएस जनरल रावत को मौत से सामना हो चुका था और वे मौत को मात देकर हर बार अपने देश की सेवा मे लग जाते थें।

1993 में पाकिस्तानी गोलाबारी मे जनरल बिपिन रावत का टकना हो गया था चूर।

यह बात उन दिनो की है जब बिपिन रावत 5/11 गोरखा राइफल्स में मेजर के पद पर तैनात थे। 17 मई की बात है। कश्मीर के उरी इलाके में वो अपने कुछ जवानों के साथ गश्त कर रहे थे। उसी दौरान पाकिस्तान ने गोलीबारी शुरू कर दी। बिपिन रावत भी उस गोलीबारी की जद में आ गए। एक गोली उनके टखने पर लगी और वो चूर हो गया। एक छर्रा उनके दाहिने हाथ पर लगा। वो लहूलुहान होकर वहीं बैठ गए। आनन.फानन उन्हें श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उनका हाथ और टखना तो ठीक कर दियाए लेकिन बिपिन रावत के मन में एक टेंशन घर कर गई थी। रावत को डर था कि गोली लगने के बाद उन्हें सीनियर कमांड कोर्स में शामिल होने से रोक न दिया जाए। उन्होंने हार नहीं मानी। बैसाखी के सहारे चलना शुरू किया और एक महीने में ही रिकवर हो गए। इसके बाद उन्हें रेजिमेंट सेंटर लखनऊ में वापस तैनात कर दिया गया। बिपिन रावत को उनकी जांबाजी के लिए सेना का वूंड मेडल दिया गया।

2015 में जब हेलिकोप्टर क्रैश होने पर पर भी बिपिन रावत बच निकले

दुसरी घटना 2015 की है जब बिपिन रावत लेफ्टिनेंट जनरल थे। उनके ऊपर नागालैंड के दीमापुर स्थित 3 कॉर्प्स हेडक्वार्टर की जिम्मेदारी थी। 3 फरवरी 2015 को सुबह 9.30 बजे बिपिन रावतए एक कर्नल और दो पायलट के साथ चीता हेलिकॉप्टर पर सवार हुए। दीमापुर से उड़ान भरने के बाद हेलिकॉप्टर जमीन से 20 फीट ऊपर गया। तभी इंजन फेल हो गया। कुछ सेकेंड में ही वो जमीन पर आ गिरा। उसमें सवार सभी लोगों को चोट आईए लेकिन एक बार फिर बिपिन रावत ने मौत को मात दे दी। लेेकिन इसबार होनी को कुछ ओर ही मंजूर था और उनका यह सफर आखिरी साबित हुआ। और वे अपनी पत्नी और 11 जाबांज सैन्य अफसरो के साथ हेलिकोप्टर दुर्घटना मे शहीद हो गए।

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