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इस अराजकता का फन कुचलना अति आवश्यक

इस अराजकता का फन कुचलना अति आवश्यक
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नई दिल्ली। विश्व हिंदू महासंघ भारत के राष्ट्रीय सचिव प्रमोद त्यागी ने हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि 2014, 2019, 2022, की हार से झुंझलाये सत्ता के सौदागर जो सीएए, एनआरसी, कृषि कानून में नहीं कर पाए, वह इन्होंने अग्निपथ पर कर दिखाया। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इनके दल्ले आगजनी, हिंसा और लूटमार में संलग्न हैं। महागठबंधन के आह्वान पर ट्रेनों, स्टेशनों, वाहनों, पुलिस चौकियों, दुकानों को फूंकना तथा लूटमार करना जारी है।

हिंसा-अराजकता के तांडव के बीच खुद को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बताने वाले मीडिया चैनलों से हम पूछते हैं कि जिन्हें आप 'हमारे ही बच्चे हैं' कह कर उनकी बेगुनाही सिद्ध कर रहे हैं, क्या इतना भीषण गुनाह करने के बाद भी वे देश की रक्षा करने की जिम्मेदारी सँभालने के योग्य हैं ? इन लोगों ने अरबों रुपये की राष्ट्रीय संपत्ति को फूंका और ये दुष्कर्म अब भी जारी है।

लाखों ट्रेन यात्रियों को, जिनमें वृद्ध, अपाहिज, महिलायें और दुधमुँहे बच्चे भी हैं, को स्टेशनों पर लावारिस अवस्था में बिलखता छोड़ा हुआ है। स्टेशनों के कैशसेंटर से लाखों रुपये लूटे और यात्रियों का सामान आग के हवाले कर दिया। महिला यात्रियों के टॉप्स, बुँदे और सोने की चैनें झपट ली गयीं।

निर्दोष यात्रियों की पिटाई की जिससे अनेक यात्री घायल हो गए, लखीसराय में एक यात्री की इन गुंडों की पिटाई से मौत भी हो गयी। चैनलों के एडिटर, रिपोर्टर और एंकर बतायें कि जो लोग मुँह लपेट कर, हाथों में लाठियां और पेट्रोल की पिपिया लेकर आये थे वे क्या बेचारे गरीब बेरोजगार छात्र थे? जिन्होंने न केवल भाजपाइयों और उनके आवासों, दफ्तरों तथा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को ही निशाना बनाया अपितु एडीजी, एसएसपी, डीएम, सीओ, इस्पेक्टर व कांस्टेबल तक पर हमले किये। ऐसी करतूत करने वाले देश की रक्षा करेंगे? भुस में आग लगा के जो विपक्षी नेता तालियां पीट रहे हैं ऐसे नालायकों को कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। इनका पहले भी इलाज हो चुका है, आगे पक्का इलाज होना निश्चित है।

सरकार सुनिश्चित करे कि जिन परिवारों की निकम्मी औलादों ने देश की संपत्ति, देश की प्रतिष्ठा को आग लगाई है उस परिवार का कोई सदस्य अग्निपथ तो क्या, किसी भी शासकीय योजना का लाभार्थी न बन सके। ऐसे परिवारों को किसी शासकीय सहायता का अधिकार नहीं जो अपने बच्चों को खुले सांड की तरह छोड़ दे। अग्निपथ हो या कोई अन्य सरकारी भर्ती, पुलिस की जाँच के बाद ही उसकी पात्रता मानी जाये। झूठा प्रमाणपत्र सिद्ध होने पर कड़ी कार्यवाही हो।

हिंसा, तोड़फोड़ व आगजनी को भड़काने वालों और 'नौजवानों के धैर्य की परीक्षा न लें' कह कर आग में पेट्रोल डालने वालों को किसी कीमत पर भी बख्शा न जाये। शाहीनबाग, दिल्ली दंगा, बंगलुरु की अराजकता, जहांगीरपुरी, कानपुर जुमे का बवाल आदि घटनाएं पुकार- पुकार कर कह रही हैं कि देश गद्दारो के चंगुल में है। बेखौफ, बेहिचक इनके फन कुचलने की जरूरत है।

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