सिर्फ इसलिए महिला प्रोफेसर को नहीं किया एडमिट, मौत
दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति अस्त व्यस्त है। एक ओर जहां स्टाफ कोविड मरीजों को लेकर लापरवाह है, वहीं कई अस्पताल आईसीयू, वेंटीलेटर, आॅक्सीजन और बेडों की कमी से जूझ रहे हैं।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी ने लहर के बीच दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति अस्त व्यस्त है। एक ओर जहां स्टाफ कोविड मरीजों को लेकर लापरवाह है, वहीं कई अस्पताल आईसीयू, वेंटीलेटर, आॅक्सीजन और बेडों की कमी से जूझ रहे हैं। मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे जिससे लोगों की मौत हो रही है।
बताया गया है कि गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय में स्कूल आॅफ नैनोसाइंस की डीन, प्रोफेसर इंद्राणी बनर्जी को भी दो दिनों से सांस लेने में दिक्कत के चलते उनके छात्रों और सहकर्मियों ने उन्हें एक कोविड अस्पताल पहुंचाया, लेकिन अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया। अस्पताल ने उन्हें इतना कहकर लौटा दिया कि उन्हें एम्बुलेंस में नहीं लाया गया है। उनके छात्रों ने कहा कि शुक्रवार को उनका आॅक्सीजन स्तर 90-92 प्रतिशत के आसपास था। शुक्रवार को उन्हें गांधीनगर के एक सरकारी अस्पताल में ले गए, अस्पताल पूरी क्षमता से भरा हुआ पाया गया। इंद्राणी बनर्जी ने अपने सहयोगियों से गांधीनगर के एक निजी अस्पताल में ले जाने का अनुरोध किया। इस निजी अस्पताल ने भी कहा कि यहां आॅक्सीजन सांद्रता और वेंटिलेटर की कमी थी, जिसकी इंद्राणी बनर्जी को जल्द ही आवश्यकता पड़ने वाली थी। शनिवार को छात्रों प्रोफेसर को अपने निजी वाहन में अहमदबाद नगर निगम (एएमसी) कोविड अस्पताल ले गए, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए उन्हें भर्ती नहीं किया कि उन्हें एम्बुलेंस में नहीं लाया गया था। उन्हें फिर से गांधीनगर अस्पताल लाया गया। इस समय तक उनके आॅक्सीजन का स्तर 60 प्रतिशत के पर था, उनके सहयोगियों ने यग जानकारी दी। 2 बजे तक, गांधीनगर अस्पताल ने इंद्राणी बनर्जी के लिए एक आॅक्सीजन मशीन का प्रबंधन किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रविवार को उसके साथी शव को दाह संस्कार के लिए ले गए। फिजिक्स में पीएचडी इंद्राणी बनर्जी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई और पुणे विश्वविद्यालय में एक फेलो थीं। वह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में एक विजिटिंग वैज्ञानिक भी रही हैं।