आचार्य श्री 108 सागर अरुण सागर जी का सरागवाड़ा जैन मंदिर मेंमंगल आगमन

देवबंद। श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर सरागवाड़ा (जैन अतिथि भवन) में 7जुलाई2025 दिन सोमवार को आचार्य श्री108 सागर अरूण सागर जी महाराज के मंगल आगमन के उपरांत चातुर्मास के लिए निवेदन किया गया। सकल जैन समाज द्वारा महाराज श्री के सानिध्य में दिन रविवार को मंगल कलश की स्थापना की ।मंदिर जी मे चल रहे भक्तामंर महामंगल विधान मंत्रो द्वारा प्रात: श्री जी का अभिषेक पूजा, शांति धारा का आयोजन हुआ। मंगल कलश स्थापना समारोह का आयोजन तेज पैलेस में आयोजित किया गया। जहां ध्वजारोहण महेश चंद अजय कुमार संजय जैन परिवार ने किया। दोपहर में मंगल कलश स्थापना एवं धार्मिक कार्यक्रम हुए। मुख्य कलश स्थापना करने का सौभाग्य श्री सतीश जैन परिवार, णमोकार महामंत्र कलश वर्षायोग समिति देवबंद , आराध्य धाम कलश रविंद्र कुमार रजत कुमार सजल जैन परिवार को प्राप्त हुआ।
इससे पूर्व मंच उद्घाटन सत्येंद्र कुमार संयम जैन परिवार, भगवान महावीर स्वामी के चित्र का अनावरण डॉक्टर संजीव कुमार प्रत्यूष जैन परिवार, आचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण श्री हंस कुमार अंकुर जैन परिवार, दीप प्रज्जुलन श्री अंकित कुमार अविरल जैन परिवार (सिल्वर पैराडाइज फार्महाउस), पुष्पगिरी आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज का पद प्रक्षालन श्री सुबोध कुमार पारस जैन परिवार, आराध्य धाम प्रणेता आचार्य श्री अरुण सागर जी का पद प्रक्षालन डॉक्टर डीके जैन परिवार द्वारा किया गया। समारोह का आयोजन महिला जैन मिलन द्वारा मंगलाचरण बोलकर, महाराज श्री की महाआरती श्री आकाश कुमार अभिषेक कुमार प्रखर जैन परिवार(प्राची मोटर्स) द्वारा किया गया।
इससे पूर्व स्वागत अध्यक्ष श्री अनुज गोयल श्रीमती लीना गोयल परिवार की ओर से मुख्य अतिथि , अतिथीयो व पत्रकारों का पटका पहनकर सम्मान किया। समारोह मे उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री जसवंत सैनी, कुंवर बृजेश सिंह(पीडब्लूडी) द्वारा महाराज श्री को श्रीफल अर्पित कर उनके चरणों का पद प्रक्षालन किया । इसके उपरांत समाज द्वारा महाराज श्री की पूजा अर्चना की गई जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य मंत्री कुंवर बृजेश सिंह द्वारा महाराज श्री के समक्ष भक्ती के साथ अरध चढ़ाया। महाराज श्री अपने प्रवचन में बताया कि जैन साधु संत आरिकाएं वर्षायोग में चातुर्मास क्यों करते हैं उन्होंने कहा कि जैन धर्म का मूल सिद्धांत अहिंसा है, जिसका अर्थ है किसी भी जीव को किसी भी प्रकार की हानि न पहुंचाना. वर्षा ऋतु में, जब जीवों की उत्पत्ति बढ़ जाती है, तो मुनि विहार करने से अनजाने में भी जीवों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
इसलिए, वे एक स्थान पर रहकर अपनी अहिंसा व्रताचरण को दृढ़ता से पालते हैं। वर्षा योग का समय मुनि के लिए आत्म-साधना और ध्यान के लिए भी महत्वपूर्ण होता है. वे इस समय का उपयोग अपनी आध्यात्मिक प्रगति के लिए करते हैं, अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और कर्मों का नाश करते हैं। मंदिर प्रांगण में चल रहे 48 दिवसीय के भक्तांमर विधान के तीसरे दिन श्री अनिल कुमार नितिन कुमार सचिन जैन, चौथे दिन श्री पीसी जैन श्रीमती सरला जैन फरीदाबाद की ओर से विधान का आयोजन कराया गया
समारोह का मंच संचालन पुनीत जैन (मुजफ्फरनगर) ,मनोज जैन (देवबन्द) ने किया। कार्यक्रम में विनोद जैन ,सुनील जैन ,अजय जैन अतुल जैन ,अनुज जैन ,प्रवीण जैन ,अंकित जैन ,अनिल जैन,रेखा जैन ,पारुल जैन ,मुकेश जैन ,अर्चना जैन ,डॉली जैन सहित फरीदाबाद जैन समाज ,सरसावा जैन समाज ,मेरठ जैन समाज ,मुजफ्फरनगर जैन समाज ,देवबन्द जैन समाज उपस्थित रहा