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हादसे की हकीकत: जब मां-बाप की आंखों के सामने बह गया उनका सब कुछ

हादसे की हकीकत: जब मां-बाप की आंखों के सामने बह गया उनका सब कुछ
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देवबंद के बचीटी गांव में उस शाम की चीखें आज भी हवाओं में गूंज रही हैं—जब दो मासूम जिंदगियां तेज बहाव के साथ बह गईं, और पीछे रह गया सिर्फ मातम।

सोमवार की शाम:

12 साल का वाजिद (पुत्र शाहरुख) और 13 साल का अजीम (पुत्र अरशद) गांव के पास बह रहे नाले को पार कर रहे थे। बारिश के चलते नाले में तेज बहाव था, लेकिन बच्चों को क्या पता था कि यही पानी उनकी जिंदगी को ले जाएगा। एक पल में सब कुछ खत्म हो गया।

16 घंटे की तलाश:

पुलिस, गोताखोर और गांव वाले उम्मीदों के सहारे पूरी रात जुटे रहे। कोई चिल्ला रहा था "वाजिद!", कोई पुकार रहा था "अजीम!" लेकिन जवाब में सिर्फ सन्नाटा था।



मंगलवार सुबह:

नाले से जब दोनों के शव निकाले गए, तो गांव में ऐसा मातम छाया कि चूल्हे तक नहीं जले। मोहल्ले की हर गली, हर कोना, हर दिल इस त्रासदी से कांप उठा। जिन बच्चों की हंसी कल तक घर-आंगन में गूंजती थी, आज उनकी यादें रह गईं।

गांव में मातम:

ग्राम प्रधान पति मोमीन त्यागी ने बताया कि पंचायतनामा भरने के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। देर शाम गमगीन माहौल में दोनों को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

सवाल अब भी बाकी है:

इन मासूमों का क्या कसूर था? कौन जिम्मेदार है? क्या गांव के ऐसे खतरनाक रास्तों की सुरक्षा कोई मुद्दा नहीं?

ये कोई फिल्म नहीं, ये हकीकत है—एक ऐसा मंजर जो गांव के दिल में हमेशा जिंदा रहेगा।

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