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गोपूजा का पर्व है गोपाष्मी

गोपूजा का पर्व है गोपाष्मी
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मुजफ्फरनगर । गोपाष्टमी, ब्रज में भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। गायों की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम 'गोविन्द' पड़ा! गाय को गौ माता कहते हैं और इसकी पूजा का बड़ा महत्व है। वहीं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व आज 22 नवंबर को मनाया जा रहा है।

प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने जब छठे वर्ष की आयु में प्रवेश किया तब एक दिन भगवान माता यशोदा से बोले – "मैय्या अब हम बड़े हो गए हैं

मैय्या यशोदा बोलीं - अच्छा लल्ला अब तुम बड़े हो गए हो तो बताओ अब क्या करें

भगवान ने कहा - अब हम बछड़े चराने नहीं जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे

मैय्या ने कहा - ठीक है बाबा से पूछ लेना

यशोदा मां के इतना कहते ही झट से भगवान नन्द बाबा से पूछने पहुंच गए।

बाबा ने कहा - लाला अभी तुम बहुत छोटे हो अभी तुम बछड़े ही चाराओं

भगवान ने कहा - बाबा अब में बछड़े नहीं जाएंगे, गाय ही चराऊंगा

जब भगवान नहीं मने तब बाबा बोले- ठीक है लाल तुम पंडत जी को बुला लाओ- वह गौ चारण का महुर्त देख कर बता देंगे

बाबा की बात सुनकर भगवान झट से पंडित जी के पास पहुंचे और बोले - पंडित जी ! आपको बाबा ने बुलाया है, गौ चारण का महुर्त देखना है, आप आज ही का महुर्त बता देना मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा।

पंडित जी नन्द बाबा के पास पहुंचे और बार-बार पंचांग देख कर गड़ना करने लगे तब नन्द बाबा ने पूछा- पंडित जी क्या बात है ? आप बार-बार के गिन रहे हैं ? पंडित जी बोले - क्या बताएं नन्दबाबा जी केवल आज का ही मुहुर्त निकल रहा है, इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहुर्त नहीं है।

पंडित जी की बात सुन कर नंदबाबा ने भगवान को गौ चारण की स्वीकृति दे दी। भगवान जी समय कोई कार्य करें वही शुभ-मुहुर्त बन जाता है। उसी दिन भगवान ने गौ चारण आरम्भ किया और वह शुभ तिथि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी। उसी दिन से भगवान के गौ-चारण आरम्भ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।।

1. इस दिन गाय को हरा चारा खिलाएँ।

2. जिनके घरों में गाय नहीं है वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करें।

3. गंगा जल, फूल चढाये, दिया जलाकर गुड़ खिलाये।

4. गाय को तिलक लगायें, भजन करें, गोपाल (कृष्ण) की पूजा भी करें, सामान्यतः लोग अपनी सामर्थ्यानुसार गौशाला में खाना और अन्य समान का दान भी करते हैं!

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