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तालिबान ने देश चलाने को दुनिया से लगाई आर्थिक मदद की गुहार, भारत के लिए भेजा एक खास संदेश

आतंकी संगठन तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि हम जिस चीज का विरोध कर रहे हैं, वह यह है कि भारत गनी सरकार का पक्ष लेता रहा है।

तालिबान ने देश चलाने को दुनिया से लगाई आर्थिक मदद की गुहार, भारत के लिए भेजा एक खास संदेश
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काबुल। बीते सप्ताह काबुल पर कब्जा करने के बाद भी तालिबान सरकार बनाने की कोशिशों में जुटे तालिबान ने अंतराष्ट्रीय समुदाय से आर्थिक मदद की अपील की है। साथ ही उसने भारत के लिए भी एक खास संदेश भेजा है और उससे अधूरी पडी योजनाओं को पूरा करने का आग्रह किया है।

एक इंग्लिश चैनल को दिए इंटरव्यू में तालिबानी प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने कहा कि अगर भारत की परियोजनाएं अफगानिस्तान में अधूरी हैं तो वे इसे पूरा कर सकते हैं। यह पूछने पर कि भारत ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान के विकास में भारी निवेश किया है। भारत ने सड़कों, बांधों और यहां तक कि संसद भवन का भी निर्माण किया है। मगर यह बताया जा रहा है कि तालिबान ने भारत के साथ व्यापार बंद कर दिया है। क्या यह सच है और क्या यह स्थायी है? इस पर प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने कहा कि उनकी (भारत की) परियोजनाएं, जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए अच्छी हैं और जो अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण में योगदान करती हैं, अगर वे अधूरी हैं तो वे इसे पूरा कर सकते हैं। आतंकी संगठन तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि हम जिस चीज का विरोध कर रहे हैं, वह यह है कि भारत गनी सरकार का पक्ष लेता रहा है। हम पिछले 20 साल से यही चाहते हैं कि भारत समेत सभी देशों का संबंध अफगानिस्तान के लोगों से हो और उन्हें अफगानिस्तान के लोगों की मंशा को भी स्वीकार करना चाहिए। यही हमारी बात और हमारी स्थिति थी और हमने हमेशा कहा है कि किसी को भी उस कठपुतली सरकार (गनी सरकार) का पक्ष नहीं लेना चाहिए। उन्हें अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन करना चाहिए।

अफगानिस्तान में विकास कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी को लेकर आपका क्या संदेश है, इस पर तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि उनके लिए मेरा संदेश है कि हमने अभी-अभी युद्ध समाप्त किया है और हम उस अध्याय को पीछे छोड़ रहे हैं। यह एक नया अध्याय है और अफगानिस्तान के लोगों को मदद की जरूरत है। अफगानिस्तान के लोगों को उनके जीवन के निर्माण और अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए सभी देशों को आर्थिक रूप से मदद करनी चाहिए। फिर हमारे अन्य देशों के साथ भी अच्छे संबंध होंगे। अफगानिस्तान के लोगों की मदद के लिए आगे आना उनकी मानवीय मजबूरी भी है क्योंकि 70 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे हैं। इसके अलावा, हमारे पास 20 साल का युद्ध और रक्तपात है। हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद की बहुत सराहना करेंगे।

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