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तीसरी डोज के बावजूद ओमिक्रॉन पर काबू नहीं

तीसरी डोज के बावजूद ओमिक्रॉन पर काबू नहीं
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नयी दिल्ली। इस्राइल में पहले ही कोरोना वैक्सीन की घटती प्रभावशीलता और वायरस से अतिरिक्त बचाव के लिए वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने के बावजूद देश में लोगों का ओमिक्रॉन से संक्रमित होना जारी है। इसके चलते बाद में इस्राइल सरकार ने नागरिकों को कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज लगाने का फैसला किया।

शेबा अस्पताल की तरफ से टीके की चौथी डोज पा चुके 270 चिकित्सकों पर रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बताया गया है कि 270 में से 154 को फाइजर की वैक्सीन लगी थी, जबकि 120 को मॉडर्ना। यह सभी लोग पहले भी तीन बार फाइजर की वैक्सीन लगवा चुके थे। रिसर्च में सामने आया कि चौथी डोज लगवाने के बाद सभी में एंटीबॉडीज की मात्रा पिछली यानी तीसरी डोज लगवाने के बाद से ज्यादा पाई गईं। हालांकि, यह बढ़ी हुई एंटीबॉडीज भी ओमिक्रॉन के प्रसार को नहीं रोक पाईं। स्टडी के मुताबिक, चौथी डोज से बढ़ी एंटीबॉडीज से भी ओमिक्रॉन के खिलाफ आंशिक सुरक्षा ही मिल पाई। रेजेव-योचय ने कहा, "वैक्सीन जो पिछले वैरिएंट के खिलाफ काफी प्रभावी थीं, वे ओमिक्रॉन के खिलाफ काफी कम प्रभावी हैं।" इन नतीजों के बाद इस्राइल के अपने 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों और चिकित्सकों को दूसरी बूस्टर डोज (कुल चौथी डोज) दिए जाने के फैसले पर सवाल खड़े हो गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्री बोले- बूस्टर के औचित्य पर आगे बहस जरूरी

इस्राइल सरकार का कहना है कि बीते हफ्तों में कम से कम पांच लाख लोगों को दूसरी बार बूस्टर डोज लगा है। इस्राइल के स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक डॉक्टर नहमन ऐश के मुताबिक, इस रिसर्च में यह नहीं कहा गया है कि वैक्सीन की चौथी डोज हमारी गलती थी। बुजुर्गों में एंटीबॉडी का बढ़ा स्तर उन्हें ज्यादा सुरक्षा ही मुहैया कराएगा। हालांकि, आगे फिर बूस्टर डोज लगाए जाने के फैसले पर अब व्यापक बहस जरूरी है।

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