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मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर रवाना

पीएम मोदी इसी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेजबानी वाले एक गाला डिनर में भी शामिल होंगे। इसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के भी शामिल होने का अनुमान है।

मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर रवाना
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न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे पर रवाना हो गए। इस साल मार्च में बांग्लादेश दौरे के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। अपने इस दौरे में पीएम वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात करेंगे, जबकि न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा और जलवायु परिवर्तन से जुड़े एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।

22 सितंबर - प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क में जारी संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में हिस्सा लेंगे।

23 सितंबर - इसके बाद पीएम क्वाड के साझेदार देशों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इसमें वे ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के पीएम योशिहिदे सुगा से अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।

मोदी इसी दिन अमेरिका की बड़ी कंपनियों के टॉप अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इनमें एपल के सीईओ टिम कुक और तकनीक-ऊर्जा क्षेत्र के कई और दिग्गज शामिल होंगे। पीएम मोदी इसी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेजबानी वाले एक गाला डिनर में भी शामिल होंगे। इसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के भी शामिल होने का अनुमान है।

24 सितंबर - मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच द्विपक्षीय वार्ता। इसके बाद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्षों के साथ क्वाड की पहली आमने-सामने बैठक।

25 सितंबर- प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क में शनिवार सुबह छह बजे (भारतीय समयानुसार शाम 6.30 बजे) संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे। इसके बाद कुछ अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर वे 27 सितंबर को भारत लौट आएंगे।

मोदी के दौरे में किस कार्यक्रम में क्या होंगे मुद्दे?

1. क्वाड समिट

प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे में सबसे खास कार्यक्रम होगा क्वाड देशों के नेताओं की आमने-सामने होने वाली पहली बैठक। दरअसल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत ने अब तक वर्चुअल तरीके से ही क्वाड की बैठक में हिस्सा लिया है। ऐसे में पहली बार चारों देशों के नेता एक छत के नीचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर बातचीत करेंगे।

इस बैठक की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि क्वाड का गठन ही मुख्य तौर पर चारों देशों को चीन से मिल रही चुनौती के चलते हुआ था और पिछले एक साल में जहां भारत को लद्दाख सीमा, तो जापान को सेनकाकू द्वीप समूह, ऑस्ट्रेलिया को व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) और अमेरिका को कूटनीतिक-राजनयिक मोर्चे पर चीन की तरफ से जबरदस्त चुनौती मिल रही है।

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