undefined

बच्चों को संस्कार देने वाले साहित्य की जरूरतः डाॅ.पुष्पलता

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी वेब पत्रिका आखर आखर की मुख्य संपादक और संचालक डाॅ. पुष्पलता वैसे को कानून की स्नातक हैं, लेकिन उनकी सिद्धहस्तता साहित्य में है।

बच्चों को संस्कार देने वाले साहित्य की जरूरतः डाॅ.पुष्पलता
X

मुजफ्फरनगर। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी वेब पत्रिका आखर आखर की मुख्य संपादक और संचालक डाॅ. पुष्पलता वैसे को कानून की स्नातक हैं, लेकिन उनकी सिद्धहस्तता साहित्य में है। तमाम संस्थाओं से अपनी कृतियों के लिए सम्मान पा चुकीं डाॅ.पुष्प लता का कहना है कि आजकल समूचे समाज में घटित हो रही घटनाओं को देखकर लग रहा है हमारे बच्चों को कुछ ऐसी मजबूत मिट्टी चाहिए जिससे उनके बचपन की नींव मजबूत हो सके । बच्चे आलू कचालू बेटे कहाँ गए थे बैगन की टोकरी में सो रहे थे। बैगन ने लात मारी रो रहे थे जैसी मनोरंजक कविताएँ सुनकर बड़े हो रहे हैं मगर वे उनका चरित्र मजबूत नहीं बना पा रहीं। उन्हें ऐसे साहित्य की लत लगाने की जरूरत जिससे उनमें हमारे पूर्वजों की तरह अच्छे संस्कार और आत्मबल का निर्माण हो सके। बच्चों के लिए ऐसे साहित्य का अभाव है।कोरोना के चलते बाहर न निकल पाने से सबसे ज्यादा बच्चे परेशान हुए हैं। किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं । हमारे पूर्वजों की कहानियां आज भी हमारे कदम निर्धारित करती हैं ।एकल परिवारों में बच्चे दादी- नानी की कहानियों से उनके स्नेहाशीष दिशा निर्देशन से वंचित हैं ।ऐसे में मुझे लगा बच्चों के लिए ऐसी पुस्तक जो उनके लिए मनोरंजक होने के साथ उन्हें सही दिशा में भी ले जाए होनी चाहिए। बाल साहित्य बहुत कम लिखा जा रहा है । मेरी खुद पोशम्पा बाल गीत सँग्रह के बाद ये बाल उपन्यास दूब का बन्दा दूसरी पुस्तक है। हर बच्चे के मन में ख्वाहिश होती है कि उसे कोई जादुई छड़ी, परी या कोई स्पाइडर मैन, मैजिक मैन के जैसी चीज मिल जाए जिससे वह सारी मुराद पूरी करे। वह भिन्न -भिन्न मनोभावों से गुजरता है । उन्हें ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक का ताना- बाना बुना है। उम्मीद है मेरी कोशिश मा शारदे के शब्द सफल करेंगे ।हमारे बच्चे आगे चलकर अच्छे नागरिक बन देश का गौरव बढ़ाए इसी उम्मीद से मैंने मेरी यह कोशिश- उम्मीद आप सभी के हाथों में सौंपी है।आशा है आप सब हमारे सबके बच्चों के हित में उनके हाथों तक पुस्तक पहुंचाने में सहयोग देंगे ।

Next Story