शिव विवाह की कथा का श्रवण अत्यंत कल्याण कारकः संजीव शंकर
सावन के महीने में हरियाली तीज के दिन भगवान भोलेनाथ और मां गौरी की पूजा विशेष तौर पर की जाती है। खास बात है कि इस पूजा में भगवान शिव के पूरे परिवार को शामिल किया जाता है।

मुजफ्फरनगर। सावन के महीने में हरियाली तीज के दिन भगवान भोलेनाथ और मां गौरी की पूजा विशेष तौर पर की जाती है। खास बात है कि इस पूजा में भगवान शिव के पूरे परिवार को शामिल किया जाता है। हर सुहागिन महिला हरियाली तीज का बेसब्री से इंतजार करती है। महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष पंडित संजीव शंकर ने बताया कि हरियाली तीज को सौन्दर्य और प्रेम का त्योहार माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। घर की सुख संमृ(ि के लिए महिलाएं हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। कहते हैं इस व्रत को करने से सौभाग्य और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के रुप में हरियाली तीज मनाई जाती है। शुभ एवं सुदृढ़ ग्रस्त जीवन के लिए शिव विवाह की कथा का श्रवण अत्यंत कल्याण कारक है। शिव पुराण में कहा गया है कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इसके लिए माता पर्वती को 108 जन्म लेने पड़े।
हरियाली तीज की व्रत कथा
भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि ''तुमने मुझे पति के रुप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर कठिन तप किया था। अन्न जल त्यागकर तुमने मेरा ध्यान किया। सर्दी, गर्मी और बारिश में लगातार तुमने अपनी तपस्या जारी रखी. तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे। तब उनके पास नारद जी पहुंचे और कहने लगे कि भगवान विष्णु आपकी कन्या की तपस्या से खुश हुए हैं और उससे विवाह करना चाहते हैं।'' नारद जी की बातें सुनकर पर्वतराज बहुत खुश हुए।
उन्होंने कहा कि वो ''इस विवाह के लिए तैयार हैं।'' इसके बाद नारद जी ने जाकर यह बात माता पार्वती को बताई कि ''उनके पिता पर्वतराज पार्वती की शादी भगवान विष्णु से करवाने जा रहे हैं।'' यह बात सुनकर पार्वती असमंजस में पड़ गई और वहां से तपास्या के लिए चली गईं। भगवान शिव ने आगे कहा कि ''हे पार्वती जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला, तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। क्योंकि तुम मुझे यानि शिव को मन से अपना पति मान चुकी थीं। बाद में तुम किसी को बिना बताए जंगल में एक गुफा में जाकर तपस्या करने लगी। तुम्हारे पिता ने तुम्हें खोजने के लिए धरती-पाताल छान दिए, लेकिन तुम नहीं मिलीं। इसके बाद भाद्रपद तृतीय शुक्ल को मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी की। बाद में तुमने ये बात अपने पिता को बताई और कहा कि पिताजी में आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह भगवान शिव से कराएंगे।''
भगवान शिव ने आगे कहा कि ''तुम्हारे पिता ने बात मान ली और पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह कराया।'' भगवान शिव ने कहा कि ''हे पार्वती तुमने तृतीया तिथि को मेरी आराधना और व्रत किया था, मैंने तुम्हारी इच्छा पूरी की। इसी तरह इस व्रत को निष्ठापूर्वक करने वाली हर महिला को मैं मनवांछित फल देता हूं.। इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेगी उसे अचल सुहाग की प्राप्ति होगी।''
पंडित संजीव शंकर अध्यक्ष महामृत्युंजय सेवा मिशन