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किसानों को गुमराह कर रहे सतपाल मलिक : अशोक बालियान

किसानों को गुमराह कर रहे सतपाल मलिक : अशोक बालियान
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मुजफ्फरनगर । मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अदानी समूह गेहूं के खरीद के बयान को किसानों का गुमराह करने वाला बताते हुए अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने किसानों से गुमराह ना होने की अपील की है

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कल जनपद मुज़फ्फरनगर में एक प्रोग्राम में कहा है कि अडानी समूह किसानों से सस्ते में गेहूं की खरीद कर रहा है और बाद में महंगें बेचेगा। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यह भी कहा है कि कृषि कानून लागू होने से पहले ही अडानी ने पानीपत में गोदाम बना लिए थे और दिल्ली वाले नहीं सुधरे तो आंदोलन फिर खड़ा होगा। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इस विषय में जाँच-पड़ताल में पाया है कि अदानी समूह गेहूं की खरीद नहीं कर रहा है, बल्कि केवल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से इसका भंडारण कर रहा है, जिसने अदानी सिलोस को किराए पर लिया है। गेहूं की खरीद सरकार द्वारा की जा रही है, और इसमें अदानी समूह की कोई भूमिका नहीं है। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड एक दशक से अधिक सिलोस (भंडारण ग्रह) पहले के बने हुए है और पंजाब के मोगा सहित सात शहरों में इसके अनाज गोदाम (silos) हैं।

पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सलाहकार सुभाष चौधरी का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने अडानी समूह के सिलोस (भंडारण ग्रह) का विरोध किया था। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने दिल्ली में चले किसान आन्दोलन के समय किसानों को गलत जानकारी को किसानों के साथ धोखा किया है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा किराए पर लिए गये अडानी साइलोस (भंडारण ग्रह) में बिक्री की प्रक्रिया केवल चार घंटे में ही पूरी हो जाती है, जबकि सरकारी मंडी में गेहूँ बेचने में 5 दिन लगते है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जिन सिलोस (भंडारण ग्रह) को तोड़ने की बात करते थे आज किसान उन्ही सिलोस (भंडारण ग्रह) पर गेहूं डालकर खुश है, क्योकि इन सिलोस (भंडारण ग्रह) पर गेहूं डालने से उनका पैसा व समय दोनों बच रहे है।

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का अदानी समूह गेहूं की खरीद का बयान किसानों का गुमराह करने वाला है और पूरी तरह से झूठ है। जाट समाज के बुद्धिजीवियों का कहना है कि पिछले कुछ समय से मेघालय के राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक के बयान जाट समुदाय को अराजकता की तरफ लेजाने वाले है। इसलिए जाट समुदाय को ऐसे नेताओं से बचना चाहिए, जो उनको व् किसानों को गुमराह कर रहे है।

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