undefined

अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति को लेकर आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने रखे अपने विचार

छात्रों से छात्रवृत्ति का लाभ लेकर आगे बढ़ने का आह्वान किया

मुजफ्फरनगर। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने विस्तार से अपनी बात रखी और छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठा कर जीवन में आगे बढ़ने का आह्वान किया। सरवट के मदीना चौक पर गॉड ग्रेस इंटर कॉलेज में अल्पसंख्यक योजनाओं का लाभ बताने हेतु स्कूल के छात्र-छात्राओं के साथ एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी अध्यक्ष सर्व सामाजिक संस्था ने सेमिनार का उद्घाटन किया। सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में मैत्री रस्तौगी अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मौजूद रहीं, जबकि अतिथि के रूप में असद फारूकी, समाजसेवी टीम के सदस्य केपी चौधरी, डॉ नसीम किशनपुर, गुलफशा किशनपुर फैजुर रहमान प्रान्त संयोजक सेवा प्रकोष्ठ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच एवं सर्व समाजिक संस्था रहे। इस अवसर पर सेमिनार में मुख्य अतिथि प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए केन्द्र सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने अनेक योजनाएं चला रखी है, जिनका लाभ उठा कर प्रतिभाशाली बच्चों को आगे बढ़ना चाहिए। अल्पसंख्यक समुदाय में आने वाले मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध व पारसी धर्म के बच्चों को पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति योजना चलाई जा रही है। सभी बच्चों को इस योजना का लाभ आगे बढ़ना चाहिए। इस अवसर पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तौगी ने बताया कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में एक प्रभाग के रूप में स्थापित किया गया था, ताकि अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित मुद्दों पर अधिक लक्षित दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी और जैन आते हैं। इनके मूल सिद्धांतों में से एक यह भी सुनिश्चित करना है कि अल्पसंख्यक समुदाय आर्थिक, शैक्षिक और रोजगार के अवसरों में निष्पक्ष रूप से भाग लेता है और उनका उत्थान सुनिश्चित करता है। शिक्षा भारत में एक मौलिक अधिकार है, लेकिन हर कोई विशेष रूप से उच्च शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकता है। वित्तीय व्यवस्था की बदहाली के कारण, अल्पसंख्यक समुदाय के लाखों बच्चे शिक्षा के अधिकार आरटीई की सीमा को पार करने के बाद अपनी शिक्षा जारी रखने में विफल रहते हैं। ऐसी कठिनाइयों को दूर करने के लिए, सरकार ने इन अल्पसंख्यक छात्रों के लिए विभिन्न छात्रवृत्ति कार्यक्रमों की स्थापना की, जिनमें प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और वंचित वर्ग के छात्रों के लिए योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति शामिल हैं। 2021-22 में, जबकि केंद्रीय छात्रवृत्ति योजनाओं के प्राप्तकर्ताओं की संख्या बढ़कर 15,532 हो गई, अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को ऐसी छात्रवृत्ति प्राप्त करने का प्रतिशत अभी भी उनकी जनसंख्या की तुलना में बहुत कम है।"नया सवेरा" फेलोशिप कार्यक्रम के प्राप्तकर्ताओं की संख्या 2019-20 में 9,580 से घटकर 2021-2022 में 5,140 हो गई। बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति कार्यक्रम केवल अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित कक्षा 9 से 12 तक की छात्राओं के लिए है। छात्रवृत्ति योजनाओं के कम उपयोग के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक जागरूकता की कमी है, क्योंकि अल्पसंख्यकों की विशाल संख्या भूमिहीन मजदूर, छोटे व्यवसायों में शामिल आकस्मिक श्रमिक, छोटी गलियों में रहने वाले और नियमित, निश्चित और पर्याप्त आय की कमी है। अल्पसंख्यकों की आधी से ज्यादा आबादी इसी श्रेणी में आती है। वे शिक्षा को आत्म-सुधार के साधन के रूप में महत्व नहीं देते हैं। वे इसे दुर्लभ वित्तीय संसाधनों पर बोझ के रूप में देखते हैं। गरीबी लोगों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपनी कमाई खर्च करने की बजाय कमाई करने वाली आजीविका को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर कर सकती है। आधुनिक शिक्षा के प्रति अल्पसंख्यकों का रवैया अज्ञानी है और बदलती दुनिया की जरूरतों के अनुरूप पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को बदलने के प्रयासों की कमी के साथ संयुक्त धार्मिक शिक्षा पर उनका जोर उनके शैक्षिक पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार है। विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी कई प्रतिभाशाली लेकिन वंचित बच्चों को आर्थिक तंगी और गरीब माता-पिता की उदासीनता के कारण अपनी शिक्षा जारी रखने से रोकती है। अल्पसंख्यकों के शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ने के दर्जनों कारण हो सकते हैं, लेकिन उनके सामने आने वाली अधिकांश समस्याओं को एक सरल समाधान से दूर किया जा सकता है, अगर उन्हे विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के बारे में जागरूकता हो जाए जो उनके लिए बनाई गई हैं। यह उन्हें देश की शैक्षिक प्रगति में भाग लेने की अनुमति देगा, जो बदले में उन्हें विकास प्रक्रिया में अधिक सार्थक और सक्रिय रूप से योगदान देगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मेरठ प्रांत संयोजक फैजुर रहमान ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए दलदल से उभरने और बौद्धिक रूप से खुद को सशक्त बनाने का कुछ बोझ उठाना महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर एमडी साजिद हसन त्यागी, प्रधानाचार्य इब्राहिम खान, वाइस प्रिंसिपल मौहम्मद सुभानी, जन्नत, अर्शिया, फरहाना महरीन आदि मौजूद रहे।

Next Story