नारायण आवास पर फिर जीत जैसा जश्न
चंदन चौहान का टिकट होने पर सुबह से ही बधाई देने वालों का लगा तांता, 15 साल के बाद पिता की कहानी दोहराने को तैयार बाबू जी का चंदन, जीत मानकर खुशी मनाने लगे हैं समर्थक

मुजफ्फरनगर। अपने दादा और पिता की राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाल रहे राष्ट्रीय लोकदल के युवा विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मीरापुर सीट से विधायक चंदन सिंह चौहान को एनडीए के साथ गठबंधन में रालोद कोटे से बिजनौर संसदीय सीट पर प्रत्याशी बनाये जाने की घोषणा के बाद से ही उनके घर होली और दिवाली मनाई जाने लगी है। टिकट की घोषणा के बाद चंदन ने समर्थकों के साथ बाबा शिव का आशीर्वाद लिया और मंगलवार को सुबह से ही उनके नारायण आवास पर समर्थकों का तांता बधाई देने के लिए लगा हुआ है। बिजनौर सीट पर उनके पिता ने जो कहानी 15 साल पहले सियासी बिसात पर शुरू की, उसकी नई कड़ी के रूप में चंदन चौहान अब संसद जाने की तैयारी में जुट गये हैं। उनके समर्थक उनकी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं तो परिवार में खुशियां छाई हैं।
विधायक चंदन सिंह चौहान को राजनीति बाप दादा के जमाने से ही विरासत में मिली है। उनके बाबा स्व. बाबू नारायण सिंह उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम रहे और मोरना क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होते रहे। यही कारण है कि उनके पिता स्व. संजय सिंह चौहान ने भी अपनी राजनीतिक कर्मभूमि इसी क्षेत्र को बनाये रखा। साल 2009 में संजय सिंह को रालोद में रहते हुए भाजपा से गठबंधन होने के बाद चौ. अजित सिंह ने बिजनौर से टिकट दिलाया था। रालोद भाजपा गठबंधन में बनी समीकरण के आधार पर संजय सिंह चौहान सांसद निर्वाचित हुए। उनके निधन के बाद चंदन सिंह ने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को संभाला और साल 2017 में उन्होंने सपा के टिकट पर खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गये। 2022 में सपा में रहते हुए ही उन्होंने मीरापुर से दावेदारी की तो रालोद से गठबंधन हो जाने के कारण उनको रालोद के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारा गया और मोदी लहर के इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। रालोद के विधायक निर्वाचित होने के साथ ही उनकी नजदीकी जयंत चौधरी से काफी बढ़ती चली गयी तो जयंत ने उनको पार्टी में युवा विंग की कमान सौंपते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया और अब भाजपा से हुए गठबंधन में चंदन सिंह को बिजनौर से लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बना दिया गया है।
2009 के चुनाव में चंदन के पिता संजय सिंह ने बिजनौर लोकसभा सीट पर 244587 वोट पाये थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बसपा के शाहिद सिद्दीकी को 216157 वोट मिले थे। संजय सिंह ने 28430 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। 2014 के चुनाव में यहां भाजपा जीती और 2019 के चुनाव में रालोद सपा से गठबंधन होने के कारण बसपा प्रत्याशी मलूक नागर सांसद बने। अब भाजपा और रालोद 15 साल के बाद साथ आये तो बिजनौर सीट पर तस्वीर वो ही 15 साल पुरानी नजर आ रही है। भाजपा और रालोद गठबंधन को यहां काफी मजबूत माना जा रहा है, हालांकि अभी सपा और बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कुल मिलाकर चंदन का टिकट होने के कारण उनके नारायण आवास पर जीत जैसा जश्न ही नजर आ रहा है।