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निगेटिव रिपोर्ट के बाद भी जान ले रहा कोरोना

निगेटिव रिपोर्ट के बाद भी जान ले रहा कोरोना
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मुजफ्फरनगर । एक बार कोरोना की जकड़न के बाद निगेटिव रिपोर्ट खतरे के खत्म होने की गारंटी नहीं है। गांधी कालोनी में अजय पटपटिया और इससे पूर्व भी कोरोना संक्रमण से मुक्ति के बाद हुई मौतें दहलाने वाली हैं। कोरोना ने अब स्वस्थ लोगों को भी अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। अब कोरोना से वे लोग भी मरने लगे हैं, जिन्हें पहले कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। जबकि अभी तक संक्रमण से मरने वाले अधिकतर लोग ऐसे ही रहे, जो पहले किसी न किसी गंभीर बीमारी से बुरी तरह जूझ रहे थे।

यह खुलासा स्वास्थ्य महकमे की रिपोर्ट से हुआ है। जिनमें पुरुष मरीजों की संख्या महिलाओं की अपेक्षाकृत ज्यादा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मरने वालों में अधिकतर मरीज पहले ही हृदय रोग, किडनी रोग, बीपी, शुगर रोग समेत अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। कोरोना ने इनकी प्रतिरोधक क्षमता इस कदर तक कम कर दी कि उन मरीजों की मौत हो गई। मगर इनमें से कई मरीज ऐसे भी हैं, जो संक्रमण से पहले पूर्णतया स्वस्थ थे। इन्हें अचानक कोरोना ने घेरा। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। ऐसे ही मरीज अब स्वास्थ्य महकमे के लिए बड़ी चिंता का विषय बने हुए हैं, क्योंकि अभी तक हरियाणा में पूर्णतया स्वास्थ्य मरीजों को कोरोना तो हो रहा था, लेकिन उपचार के बाद वे स्वस्थ हो रहे थे। ऐसे मरीजों की मौत लगभग न के ही बराबर थी।

संक्रमण जरूर बढ़ रहा है। मगर देखा जाए तो संक्रमण से मृत्यु दर को हमने अभी भी काफी हद तक नियंत्रित किया हुआ है। कुछ ऐसे मरीजों की मौत भी हो रही है, जो संक्रमण ग्रस्त होने से पहले पूर्णतया स्वस्थ थे। ऐसे मरीजों की मौत का एक कारण अपने उपचार शुरू करवाने में देरी है। जब भी मरीज को कोरोना के लक्षण दिखे, तो वे अपना कोरोना टेस्ट करवाने और उपचार लेने में कतई देरी न करें। टेस्ट की सुविधा अब अमूमन हर जिले में उपलब्ध है। जबकि स्वास्थ्य महकमा लोगों को जागरूक करने में भी पूरा प्रयास कर रहा है।

मरने वालों मरीजों के स्थिति देखने के बाद यह बात भी सामने आई हैं कि कोरोना संक्रमण अब सांस लेने में दिक्कत करने लगा है। कोरोना अब मरीजों को सांस लेने में बाधा डाल रहा है। जिससे मरीजों के फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं और ऑक्सीजन की कमी की वजह से फेफड़े जांच हो रहे हैं। यही वजह है कि ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। जिनमें काफी मरीजों को सांस लेने में काफी प्राब्लम आ रही है। इनमें वे मरीज भी हैं, जो संक्रमण ग्रस्त होने से पहले स्वस्थ थे। जिस वजह से उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर डाला गया है। नाजुक हालात वाले मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है।

चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि संक्रमण की वजह से थोड़ी दिक्कत और खतरा तो बढ़ा है। इसलिए बहुत जरूरी है कि लक्षण दिखते ही मरीज तुरंत टेस्ट करवाएं। यदि मरीज किसी पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आया है या किसी के घर संक्रमित मरीज की मौत हुई है तो वे पहले और सातवें दिन दो बार अपना टेस्ट जरूर करवाएं।

इसके अलावा बाहर से आने वाले, किसी संक्रमित मृतक मरीज के संस्कार पर जाने वाले लोग भी अपना टेस्ट करवाने से गुरेज न करें। मास्क का पहनना इस वक्त पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है। भले ही अनलॉक में छूट मिल रही हैं, मगर इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल की पालना करना अपना स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। बुजुर्गों और दस साल से कम उम्र के बच्चों को तो बहुत ज्यादा ध्यान रखना है।

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