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ग्रामों में चिकित्सा केंद्रों की स्थिति सुधारने की मांग

यदि जिले का स्वास्थ्य विभाग अपने कर्तव्य का पालन करते हुए जो स्वास्थ्य केन्द्र गांव में पहले से ही थे। उनका सही रखरखाव करके सुचारू रूप से संचालन कराते ओर जिन गावों में स्वास्थ्य केन्द्र नहीं थे।

ग्रामों में चिकित्सा केंद्रों की स्थिति सुधारने की मांग
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मुजफ्फरनगर। कई संगठनों ने जिले में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की है।

डीएम कार्यालय पर सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार सिंह को सामाजिक संगठन ने एक ज्ञापन दिया और बताया कि सभी ग्रामों में चिकित्सा केन्द्र बनवाने व जिन ग्रामों में पहले से है चिकित्सा केन्द्र है उनकी जर्जर हालत को सुधारकर सुचारू संचालन कराने व कोरोना महामारी में मृतकों के परिवार को क्षतिपूर्ति दिलवाने के सम्बंध में ज्ञापन के माध्यम से अनुरोध किया गया है कि जनपद मुजफ्फरनगर के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा समय पर अपने कर्तव्यों का पालन न करने के कारण कोरोना महामारी में अनेको अनेक लोगों की जान जा चुकी है चुकी इस महामारी की पहली लहर का गावों में कोई असर नही था। यदि जिले का स्वास्थ्य विभाग अपने कर्तव्य का पालन करते हुए जो स्वास्थ्य केन्द्र गांव में पहले से ही थे। उनका सही रखरखाव करके सुचारू रूप से संचालन कराते ओर जिन गावों में स्वास्थ्य केन्द्र नहीं थे। वहां स्वास्थ्य केन्द्र बनवाते तो जिस स्तर पर गावों में महामारी फैली थी उतनी नहीं फैलती और किसी को अपनी जान से भी हाथ धोना नही पडता। प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 प्राण एवं देहिक स्वतत्रंता के अन्तर्गत स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है जिसे उपलब्ध कराने की राज्य एवं केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है जिसका पालन राज्य एवं केन्द्र सरकार के सरकारी अधिकारियों को करना था जो नहीं कराया गया, जिसके कारण जिले के नागरिकांे के मौलिक अधिकारो का हनन सरकारी स्तर पर हुआ है जिसके लिए राज्य एवं केन्द्र सरकार को कोरोना महामारी में मरने वाले मृत व्यक्तियों के परिवारो को जीवन यापन करने के लिए मुआवजा आदि सहायता देनी चाहिए जो सरकारो का कर्तव्य भी है । अब सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर भी आएगी जिसमें जिले के स्वास्थय विभाग को आदेशित करने का कष्ट करे कि प्रत्येक गावांे में चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी ना रहे। ज्ञापन मंे संज्ञान लेते हुए जिले के नागरिकांे के मौलिक अधिकार हनन कारण पीडितों को क्षतिपूर्ति कराने की मांग की।

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