22 से 28 मार्च तक रहेगा होलाष्टक, नहीं करें कोई शुभ कार्यः पंडित संजीव शंकर
हर्षोल्लास का त्यौहार होली के पहले अष्टमी से पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहलाता है। यह अष्टमी तिथि 22 मार्च सोमवार को प्रातः 7.10 बजे सूर्य उदय के समय तक रहेगी। अतः होलाष्टक 22 मार्च से प्रारंभ होकर होलिका दहन के दिन 28 मार्च तक रहेगा। इस बीच शुभ कार्य वर्जित बताए गए हैं।

मुजफ्फरनगर। हर्षोल्लास का त्यौहार होली के पहले अष्टमी से पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहलाता है। यह अष्टमी तिथि 22 मार्च सोमवार को प्रातः 7.10 बजे सूर्य उदय के समय तक रहेगी। अतः होलाष्टक 22 मार्च से प्रारंभ होकर होलिका दहन के दिन 28 मार्च तक रहेगा। इस बीच शुभ कार्य वर्जित बताए गए हैं।
महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष पंडित संजीव शंकर ने बताया कि होलाष्टक किस समय में में ग्रहों की स्थिति नकारात्मक होती है। अतः इस समय पर कोई भी निर्णय लेना हानिकारक हो सकता है। अतः होलाष्टक में शुभ कार्य करने पर प्रतिबंध है फिर भी उपासना व पाठ किए जा सकते हैं। भगवान नरसिंह की पूजा, हनुमान जी की पूजा, शिव की पूजा और भगवान श्री कृष्ण के संबंधित मंत्र का जाप कर निश्चित फल प्राप्त किया जा सकता है। पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्य कश्यप ने अपने पुत्र भक्त प्रहलाद की भक्ति को भंग करने के लिए इन आठ दिनों में उन्हें तमाम तरह की यातनाएं दी थीं। इसलिए कहा जाता है कि होलाष्टक के इन आठ दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। पंडित संजीव शंकर ने बताया कि एक अन्य मान्यता के अनुसार शिव पुराण में भगवान श्री कृष्ण ने उपमन्यु से शिव मंत्र की दीक्षा ली इसी कारण फाल्गुन मास शिवजी को प्रिय है अतः फाल्गुन पूर्णिमा छोटे बड़े का भेद बुलाकर हर्षोल्लास के साथ बनाने की परंपरा कृष्ण द्वारा प्रारंभ की गई।