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किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को पुण्यतिथि पर शत शत नमन-अशोक बालियान

किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को पुण्यतिथि पर शत शत नमन-अशोक बालियान
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पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान के निवास पर कल एक परिचर्चा में अशोक बालियान, सुभाष चौधरी, किसान नेता चांदवीर सिंह, अनुज बालियान व अंकित बालियान ने किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को उनकी 15 मई को होने वाली पुण्यतिथि के लिए शत शत नमन किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत हमेशा गाढ़े का कुर्ता और गाँधी टोपी पहनते थे।चौधरी टिकैत का जन्म 6 अक्टूबर 1935 में जनपद मुज़फ्फरनगर के सिसौली गाँव में हुआ था।अपने पिता की मृत्यु के बाद वे आठ साल की उम्र में बालियान खाप के चौधरी बने थे।

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की किसान राजनीति का सबसे बड़ा क्षण तब आया था, जब उन्होंने 25 अक्टूबर 1988 को दिल्ली के मशहूर बोट क्लब के लॉन पर क़रीब पाँच लाख किसानों को इकट्ठा किया था।उनकी माँग थी कि किसानों को उसकी फसल का लाभकारी मूल्य दिया जाए व पानी, बिजली की दरों कम की जाएं और किसानों के कर्ज़े माफ़ किए जाएं।

दिल्ली वोट क्लब पर आने से पहले उन्होंने शामली, मुज़फ़्फ़रनगर और मेरठ में बहुत बड़े धरने दिए थे। मेरठ में उन्होंने 27 दिनों तक कमिश्नरी का घेराव किया था।

जब चौधरी टिकैत अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे, तब भी वो अपने हाथों से खेती किया करते थे।उन्होंने देश और विदेश में किसानों के मंच पर गांव की सादगी का मान बढ़ाया था।

चौधरी टिकैत का आंदोलन कृषि विशेषज्ञों और सरकार का ध्यान अपनी तरफ़ खींचने में सफल रहा था। आन्दोलन के समय उनका प्रिय हुक्का हमेशा उनके सामने रहता था और वो बीच बीच में माइक पर जा कर अपने लोगों के सामने किसानों की समस्याओं पर बात करते थे। चौधरी टिकैत ने खुद को हमेशा राजनीति से दूर रखा।

15 मई, 2011 में मुजफ्फरनगर में चौधरी टिकैत का देहावसान हो गया था।वे अपनी अंतिम सांस तक किसानों के हितों के लिए संघर्षरत रहे थे।

ऐसे समर्पित व्यक्तित्व को हम सभी का कोटि कोटि अभिनन्दन है।यह चित्र उनकी यूरोप विदेश यात्रा के समय लिया गया था।इसमें अशोक बालियान, राकेश टिकैत व सुभाष चौधरी साथ में है।

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