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केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार को डिजिटल कॉमर्स के ओपन नेटवर्क से जोड़ना किसान हित का कार्य हैः अशोक बालियान

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार को डिजिटल कॉमर्स के ओपन नेटवर्क से जोड़ना किसान हित का कार्य हैः अशोक बालियान
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केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा के अनुसार राष्ट्रीय कृषि बाजार के माध्यम से, यह स्थापित किया जा रहा है कि विक्रेताओं और खरीदारों को डिजिटल लाभ मिले। उन्होंने बताया कि ई-नाम जो राष्ट्रीय कृषि बाजार है, वो मंडियो के माध्यम से ऑनलाइन तरीके से किसान और खरीदार का डिजिटल संपर्क कराएगा।अब इसे ओपन नेटवर्क फॉर्म डिजिटल पेमेंट ;ओएनडीसीद्ध से एकीकृत किया गया है। फार्मर प्रड्यूसर ओर्गेनाइजेशन ;एफपीओद्धके साथ जुड़कर इसे एक तरह से होम डिलीवर किया जाए। हमारा यह मकसद है कि ओएनडीसी के माध्यम से जोड़ते हुए यह सुनिश्चित करना कि किसानों के गांव के एफपीओ के माध्यम से तैयार उत्पाद लोगों तक पहुंचे। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान ने इस विषय को कृषि मंत्री से अपनी मुलाकात के समय रखा था। केंद्र सरकार का यह किसान हित का उचित कदम है, इससे किसानों की आय बढ़ेगी।

इन सुविधाओं से निश्चित रूप से एफपीओ, किसानों, विक्रेताओं, खरीदारों को बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम में एक सक्रिय भागीदार बनने के लिए खुद को विकसित करने और भारत को निकट भविष्य में डिजिटल कृषि अर्थव्यवस्था वाला विकसित देश बनाने में मदद मिलेगी। ई-नाम अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जो कृषि वस्तुओं के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने हेतु एक आभासी मंच के माध्यम से मौजूदा भौतिक एपीएमसी को नेटवर्क बनाना चाहता है। ई-नाम की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में 14 अप्रैल 2016 को हुई थी। वर्तमान में 23 राज्यों व 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 1389 विनियमित थोक बाजारों में ई-नाम लागू किया गया है। किसानों की उपज की प्रतिस्पर्धी बोली के कारण ई-नाम पर किसानों की आय बढ़ रही है और विक्रेताओं को समय पर ऑनलाइन भुगतान भी प्राप्त होता है। ई-नाम की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से यह पूरी तरह पारदर्शी है।ई-नाम की डिजिटल मंडी किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। अब किसान ई-नाम प्लेटफॉर्म पर घर बैठे ही अपनी उपज बेच रहे हैं। ई-नाम की मदद से उपज को मंडी तक ले जाने का झंझट ही खत्म हो गया है। किसान खुद को ईनाम के ट्रेडिंग पोर्टल पर रजिस्टर करते हैं और घर बैठे ईनाम ट्रेडिंग पोर्टल पर अपनी उपज की बोली लगाते हैं, जो व्यापारियों उपज को खरीदता है, वह खुद ही उपज को खेतों से ले जाता है। और बदले में किसान को ऑनलाइन पेमेंट मिल जाती है। जैविक खेती पोर्टल पर अपनी उपज बेचने के लिए रंपअपाीमजप.पद पर जाना होगा।अच्छी बात यह है कि इस पोर्टल से जुड़कर किसान देश की किसी भी मंडी में अपनी उपज बेच सकते हैं. ये कई मायनों में ई-नाम पोर्टल की तरह ही है,लेकिन सिर्फ जैविक उत्पादों को अच्छे दाम पर बेचने की सुविधा प्रदान करता है। इस पोर्टल पर घर बैठे उपज को बेच सकते हैं, जिससे कि मंडी या बाजार जाने का झंझट ही खत्म हो जाता है। यदि किसान के पास ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन है, तो जैविक खेती पोर्टल पर सेलर के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं। इसके बाद अनाज, फल, सब्जी, दाल समेत तमाम जैविक उत्पादों को बेचना और भी आसान हो जाता है। इस पोर्टल पर ई-बाजार का सेक्शन दिया गया है,जहां सबसे पहले फूड प्रोडक्ट्स की लिस्ट खुलती है। इसके बाद हर जैविक खाद्य पदार्थ का नाम, कीमत और किसान का नाम तक दिया जाता है। इस पोर्टल पर अनाज से लेकर फल, सब्जी, दाल और अन्य प्रॉडक्ट्स के दाम एक मुश्त निर्धारित है।

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