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कांटों भरा ताज साबित होगी मुजफ्फरनगर चेयरमैनी

शहर की आवश्यकताओं की पूर्ति में पिछड़ने वाली पालिका कैसे कर पायेगी 11 गांवों का विकास ; नये चेयरमैन के बैठने के साथ ही जिम्मेदारियों की गठरी को मिलेगा बोझ! ; सफाई कार्यों के लिए शहर में ही कम पड़ रहे कर्मचारियों से कैसे लेंगे काम!

कांटों भरा ताज साबित होगी मुजफ्फरनगर चेयरमैनी
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के नये चेयरमैन के रूप में सिटी बोर्ड से पालिका प्रशासन तक के करीब सात दशकों के इतिहास में दूसरी बार महिला काबिज होने जा रही है। मतदान के रूझान की बात करें तो पालिका की कुर्सी पर काबिज होने वाली दूसरी महिला लवली शर्मा या मीनाक्षी स्वरूप में से ही कोई तय मानी जा रही है। मतदान का घस्सम घस्सा होने के कारण परिणाम का कांटा किस और झुक जाये कोई साफ साफ कहने को तैयार नहीं नजर आता है, लेकिन इतना तय है कि चेयरमैनों के लिए कांटों भरा ताज का इतिहास बनाने वाली मुजफ्फरनगर पालिका में नये चेयरमैन का सफर भी इतना आसान नहीं होने जा रहा है। यहां पर भले ही सत्ता पक्ष की ओर से ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने का नारा देकर वोट मांगे गये, लेकिन यदि सत्ता पक्ष से भी चेयरमैन बना तो भी विकास की जो दरगार सीमा विस्तार के बाद इस पालिका में बनी दिखाई दे रही है, उसकी पूर्ति करने को पसीना छूट जायेगा। यदि विपक्ष की जीत हुई तो और भी मुश्किल हालात पैदा हो सकते हैं। ऐसे में नये चेयरमैन के कुर्सी पर बैठने के साथ ही जिम्मेदारियों के बोझ की गठरी उसको विरासत में मिलेगी।




बता दें कि नगरपालिका परिषद् का राज्य सरकार द्वारा सीमा विस्तार कराया गया। इसके साथ ही यूपी की सबसे बड़ी नगरपालिका मुजफ्फरनगर और भी ज्यादा बड़ी हो गयी। यहां तक की इसकी मतदाता संख्या दो विधानसभा क्षेत्रों का मुकाबला करने लगी है। पालिका क्षेत्र में सीमा विस्तार के बाद जिले के तीन सबसे बड़ी जनसंख्या वाले गांव कूकड़ा, सरवट और सूजड़ू के साथ ही कुल 11 गांवों की आबादी जुड़ गयी। इनमें अलमासपुर, खान्जापुर, बीबीपुर, वहलना, शाहबुद्दीनपुर, मन्धेडा, मीरापुर और सहावली भी शामिल रहे। इसके बाद नये शहर की आबादी 5.20 लाख से भी ज्यादा हो गयी। यहां मतदाताओं की संख्या 4.21 लाख से ज्यादा हो जाने के कारण इस बार का चुनाव भी काफी घस्सम-घस्सा रखने वाला साबित हुआ है। हालांकि अभी परिणाम आना शेष है, लेकिन जिस प्रकार के रूझान यहां पर मिल रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि यहां पर जीत और हार में कोई बड़ा अंतर नहीं रहने वाला और जीत का यह सियासी ऊंट किस करवट बैठ जाये, पता नहीं।




इस बार चेयरमैनी के चुनाव में पालिका बोर्ड के अध्यक्ष की कुर्सी पर महिला ही विराजमान होने जा रही है। कई मायनों में अंजू अग्रवाल की भांति ही आने वाली नई महिला चेयरमैन के लिए भी यह कुर्सी कांटों भरा ताज ही साबित होने जा रही है। कहने को इस बार नगरपालिका अध्यक्ष पद पर दस प्रत्याशियों ने अपने भाग्य को जनता के बीच उतरकर आजमाया है, लेकिन मतदान के दिन मिले रूझान ने साफ कर दिया है कि यह मुकाबला केवल और केवल सपा-रालोद गठबंधन की प्रत्याशी लवली शर्मा पत्नी राकेश शर्मा और भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरूप पत्नी गौरव स्वरूप के बीच ही मुख्य मुकाबला बना है। दोनों ही पक्ष के लोग और उनके समर्थन अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। लेकिन जनता के बीच चल रही चर्चाओं को अगर सुने तो अभी तक जीतने वाले को सिकंदर कहा जाता रहा है, लेकिन यह जीत हार का परिणाम भी लेकर आने वाली है। लोगों का कहना है कि पहले ही पुराने शहर की आबादी की मूलभूत सुविधाओं, स्वच्छता और पेयजल की आपूर्ति के लिए पालिका प्रशासन को पसीना पसीना होना पड़ रहा था। शहर में आज भी ऐसे अनेक वार्ड और क्षेत्र है, जहां पर कच्ची गलियां हैं और जल निकासी को लोग पक्की नालियों को भी तरस रहे हैं, जहां पर पानी के बंदोबस्त के लिए पाइप लाइन का इंतजार है और एक अदद हैण्डपम्प को भी लोगों को तरसना पड़ रहा है। जहां पर रात को अंधेरा ही अंधेरा पड़ा है और लोगों को एक स्ट्रीट लाइट के लिए जनप्रतिनिधियों से अफसरों तक के दरबार में चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ऐसे में शहर में 11 गांवों से जुड़ी करीब 1.70 लाख लोगों की आबादी की मूलभूत सुविधा और साफ-सफाई, पेयजल आपूर्ति तथा स्ट्रीट लाइट जैसी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना कोई खेल नहीं होगा। लोगों का यह भी कहना है कि यदि सत्ता पक्ष की चेयरमैन बनी तो भी कुछ हासिल हो सकता है, लेकिन यदि विपक्ष से चेयरमैनी आई तो लोगों को अंजू अग्रवाल के कार्यकाल की भांति ही राजनीतिक खींचतान ही इनाम में मिलेगी। सबसे बड़ा सवाल यही है कि साफ सफाई के लिए कर्मचारियों की कम संख्या के कारण तरसते पुराने शहवासियों की समस्याओं के बीच ही पालिका में नया चेयरमैन पालिका क्षेत्र में जुड़कर शहरी हुए 11 गांव के लोगों के लिए सफाई व्यवस्था को कैसे पटरी पर बैठा पायेगा? यही कारण है कि पालिका में नई चेयरमैन सत्ता से हो या विपक्ष से आये, उसका सफर इतना आसान नहीं रहेगा।

नये चेयरमैन को करना होगा 1200 सफाई कर्मियों का प्रबंध

मुजफ्फरनगर। नगरीय निकाय चुनाव में मतदान के दिन पड़े वोटों की गिनती करने के लिए अब काउंट डाउन शुरू हो रहा है। लोगों को इस परिणाम का बेसब्री से इंतजार है और प्रत्याशियों में भी परिणाम को लेकर धकधक बढ़ने लगी है। अगले चार दिनों में मुजफ्फरनगर जनपद की दस निकायों में नया चेयरमैन् होगा। सीमा विस्तार वाली मुजफ्फरनगर पालिका में लगातार दूसरी बार महिला चेयरमैनी करती नजर आयेगी। चेयरमैन पद की शपथ ग्रहण करने के साथ ही शहर के विकास को गति देने के लिए भी भावी चेरयमैनों ने अपनी अपनी तैयारी की है, लेकिन कुर्सी पर बैठते ही उनको कई बड़ी मांगों का सामना करना पड़ सकता है। सबसे बड़ी चुनौती शहरी क्षेत्र में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों के बराबर बंटवारे की होगी। शहर के वार्डों में ही कर्मचारियों का टोटा पिछले बोर्ड से बना रहा है, ऐसे में 11 गांवों से सामने आये वार्डों में सफाई कर्मचारियों को भेजना या नई तैनाती करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।

सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीरज बिडला का कहना है कि करीब 20 साल पहले जब उनके पिता सफाई कर्मचारी के पद पर यहां नौकरी करते थे तो आबादी और वार्ड कम होने के बावजूद भी पालिका में करीब 1200 सफाई कर्मचारी तैनात थे, लेकिन आज आलम यह है कि शहर में 800 सफाई कर्मचारी हैं और अब 11 गांव भी बढ़ गये हैं। इन कर्मियों से शहर में ही सफाई कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा था, 11 गांवों की आवश्यकता की पूर्ति कैसे कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि चेयरमैनी फाइनल होने के बाद सबसे पहली मांग सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर होगी। कम से कम 1200 कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। ऐसे में इनको ठेके पर ही रखना होगा। उन्होंने कहा कि वो चुनाव खत्म होने के बाद लखनऊ जाकर सीएम योगी से मिलने के प्रयास में हैं, जहां वो पालिका में सफाई कर्मियों की सीधी भर्ती करने वाली मांग रखेंगे।

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