किसानों को जगाने जनचेतना यात्रा पर निकले नावला के विनीत
कहा-गन्ना मोह के कारण हो रहा किसानों का उत्पीड़न, बीज और खाद पाने में भी हो रही मुश्किल, ❑ सरकार से यूपी में प्लाईवुड उद्योग को बढ़ावा देने की मांग, ताकि पापूलर से मिले किसानों को बेहतर अवसर

मन्सूरपुर। किसानों को गन्ना फसल को छोड़कर दूसरे फसल चक्र को अपनाने के लिए जागरुक करने और दूसरी विभिन्न समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर क्षेत्र के गांव नावला निवासी जागरुक किसान विनीत त्यागी किसान क्रांति यात्रा पर निकल रहे हैं। वो गांव गांव और शहर-शहर जाकर किसानों को जागरुक करने के साथ ही सरकार से भी किसान हित में अनेक कदम उठाने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपने का काम करेंगे। विनीत त्यागी का कहना है कि गन्ने की फसल के मोह के कारण ही किसानों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है। उन्होंने सरकार से यूपी में ही प्लाईवुड उद्योग को बढ़ावा देकर पापूलर पैदा कर रहे किसानों के लिए रोजगार के नये अवसर खोलने की मांग की है।
किसान क्रांति यात्रा निकाल रहे जागरुक किसान विनीत त्यागी नावला ने बताया कि उनकी यात्रा का उद्देश्य किसानों के अधिकार और कृषि में बदलाव की सोच को विकसित करना है। इसके तहत गन्ना फसल को लेकर किसानों को जागरुक किया जा रहा है। गन्ना फसल आज किसानों के उत्पीड़न का मुख्य कारण बन गया है। गन्ना फसल से फैक्टिन्न्यों को चीनी, एथनाॅल शीरा, मैली सहित पांच उत्पाद मिल रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी किसानों को गन्ने का मूल्य उचित रूप से नहीं मिल रहा है। किसानों के अधिकारों के लिए इस यात्रा के माध्यम से जागरुक करने के साथ ही जोड़ने का काम किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान गन्ने से अलग बीज, खाद के रूप में बनी समस्याओं के निदान की मांग भी हम कर रहे हैं। गन्ना अनुसंधान केन्द्रों से भी किसानों का उत्पीड़न हो रहा है। किसान बिना अगोले के कुंतल के रूप में बेचता है, लेकिन जब वो गन्ना फसल के लिए बीज लेने पहुंचता है तो उसको एक आंख के रूप में बीज मिलता है।
अगोला सहित बीज मिल रहा है। कई गुणा दामों पर यह बीज मिल रहा है। यह भी आर्थिक शोषण है। अनुसंधान केन्द्रो में भी आज इतनी नकारात्मक प्रतिस्पर्धा हो गई है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। नई प्रजाति आने से पहले ही उसका साजिशन विरोध शुरू हो जाता है। नई प्रजाति के अच्छे बीच 11015, 095 प्रजाति अच्छी है। शाहजहांपुर में एक प्रजाति अभी आई नहीं उसकी ऑनलाइन बुकिंग शुरू कर दी गई है। इसको लेकर किसानों में मारामारी का आलम बना हुआ है। इस तरह से किसानों को लूटने के लिए प्रशासनिक तंत्र काम कर रहा है। किसान विनीत त्यागी ने बताया कि बिजली का मुद्दा भी इस आंदोलन में शामिल है, बिजली पैनल्टी पर इस साल कोई भी छूट नहीं दी गई है। यह पहली बार हो रहा है। गन्ने की फसल की बुवाई पर गन्ना फसल का मूल्य सरकार को घोषित करना चाहिए, ताकि किसान लाभ नहीं होने पर गन्ने की फसल ही न करे। पापूलर पेड़ों की कीमत भी सरकार को तय करनी चाहिए।
गन्ना की फसल लाभकारी नहीं होगी तो अतिरिक्त दूसरी खेती करेगी। पापूलर की तरफ आयेगा, पापूलर के पेड़ों को बेचने के लिए हरियाणा जाना पड़ रहा है, क्योंकि वहां पर प्लाईवुड का उद्योग काफी विकसित है। यूपी सरकार को यहां पर ही यह उद्योग स्थापित करना चाहिए, ताकि पापूलर के किसानों को लाभ मिले और नये अवसर खुले। सरकार की यही सोच है कि गन्ना उद्योग रोजगार के अवसर पैदा करता है, लेकिन हमारा कहना है कि गन्ना किसान से ज्यादा रोजगार कोई नहीं देता है। गन्ने की बुवाई के दिन से मिल में आपूर्ति तक किसान रोजगार देता है। इसके बावजूद भी किसान उधार में अपनी फसल शुगर मिलों को देता है। मनरेगा के मजदूरों को कृषि से अटैच करे तो उनको बेहतर मजदूरी मिलेगी। इसी को लेकर यह जनचेतना यात्रा निकाली जा रही है। जो जागेगा वो ही अपने अधिकार हासिल कर पायेगा, यदि अपने अधिकारों के प्रति हम सो गये तो शोषण और उत्पीड़न होता रहेगा।