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विपक्ष के सिक्योरिटी सिस्टम पर भारी रहा पुलिस का डंडा

डीएम और एसएसपी ने खुद को साबित किया ‘मैनेजमेंट गुरू, परिन्दा भी नहीं मार सका पंख मुख्यालय घेरने की सपा-रालोद गठबंधन की तैयारियों पर पुलिस बैरियर ने फेरा पानी भाकियू के आह्नान को डराने में सफल नजर आये आईपीएस अभिषेक के ‘लठैत’

विपक्ष के सिक्योरिटी सिस्टम पर भारी रहा पुलिस का डंडा
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मुजफ्फरनगर। जनपद में चुनाव के बाद मतों की गिनती का काम भी शांति और सद्भाव के बीच सम्पन्न हो गया। जिस प्रकार से विपक्ष सपा और रालोद के नेताओं को गिनती में गड़बड़ी की संभावना बनी थी, ऐसा कोई भी नजारा मतगणना के दिन दिखाई नहीं दिया, वहीं पुलिस और प्रशासन ने जनता को जिस निष्पक्षता का भरोसा दिया था, उसे कायम रखने में अफसर सफल नजर आये। कई दिनों से विपक्ष के हो हल्ले के कारण बने तनाव को झेलकर डीएम और एसएसपी ने मतगणना में निष्पक्ष व्यवस्था के साथ खुद को एक बड़ा 'मैनेजमेंट गुरू' साबित किया है। विपक्ष के सिक्योरिटी सिस्टम को पुलिस प्रशासन ने एक दृढ़ निर्णय के साथ लॉक किया तो पुलिस का डंडा मुख्यालय घेरने की विपक्ष की तैयारियों पर भारी पड़ा। भाकियू के आह्नान पर जो लट्ठ गाडने की तैयारी में थे, उस भीड़ को बैरियर का खौफ दिखाकर आईपीएस अभिषेक यादव के लठैत शहर की सीमा से दूर ही रोकने में सफल नजर आये और मतगणना 'कोक्को' व 'हाउ' के शोर के बीच सुकून भरे वातावरण में सम्पन्न होने में सफल रही।

10 मार्च को मतगणना का कार्य नवीन मण्डी स्थल पर इस बार नई व्यवस्थाओं के बीच सम्पन्न हुआ। पुलिस प्रशासन के अफसरों ने इसे लिए दिन रात तैयारी की और पहला मकसद जनता में निष्पक्षता का विश्वास जताना ही था। डीएम चंद्रभूषण सिंह और एसएसपी अभिषेक यादव ने जो कमेटमेंट जनता के साथ किया, उसको सिक्युरिटी के पैमाने पर शत प्रतिशत निभाने का काम किया। सुरक्ष बंदोबस्त का जायजा लेने के लिए सड़क पर भ्रमण करते हुए एसएपसी अभिषेक यादव ने हाथों में डंडा थामा तो इस पिक्चर ने बड़ा संदेश दिया और विपक्ष के सभी लठैत कमजोर पड़ गये। मतगणना के दौरान आसपास के जनपदों में काफी हंगामा हुआ। बागपत में स्थिति ज्यादा खराब हो गयी। लेकिन मुजफ्फरनगर में सारी आशंकाओं और चुनौतियों को पुलिस प्रशासन ने विफल कर दिया।


करीब 15 दिन से विपक्ष ने मतगणना को लेकर एक अजीब माहौल बनाकर प्रशासन पर दबाव बनाने का काम शुरू कर दिया था। सपा-रालोद गठबंधन को आशंका थी कि सरकार के इशारे पर मतगणना में अफसरों के द्वारा बड़ी गड़बड़ी कराई जा सकती है। यही कारण था कि 10 फरवरी को मतदान के बाद से ही गठबंधन नेताओं ने मतगणना स्थल पर स्ट्रांग रूम में ईवीएम की निगरानी शुरू कर दी थी। इसके बाद काउंटिंग वाले दिन धांधली की आशंका व्यक्त कर सभी छह विधानसभा क्षेत्रों से 50 हजार लोग बुलाकर दबाव बनाने का प्रयास शुरू कर दिया था। सपा और रालोद नेताओं का दावा था कि 9 मार्च की रात से ही कार्यकर्ता यहां पर जुटने लगेंगे और 10 मार्च की सुबह तक एक लाख लोग मुख्यालय पर ट्रैक्टर ट्राली लेकर मौजूद रहेंगे। इसके बाद प्रशासन अलर्ट हुआ तो फिर भाकियू नेता राकेश टिकैत ने भी किसानों से दो दिन की छुट्टी रखकर 9 व 10 मार्च को मुख्यालय पहुंचने का आह्नान कर दिया। इसके बाद भाजपा ने भी अपने कार्यकर्ताओं को बुलाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन सत्ता और विपक्ष की इस तैयारियों पर पुलिस प्रशासन का मैनेजमेंट भारी पड़ा। मुख्यालय घेरने की तैयारी कर रहे सपा-रालोद गठबंधन के सिक्योरिटी सिस्टम को डीएम-एसएसपी ने तोड़ दिया।

बहारी लोगों पर अंकुश लगाने के लिए मतगणना स्थल के आस-पास बुक कराए गए सभी बैंक्वट हाल पर ताले जड़वा दिए गए। मुख्य चौराहों पर बेरीकेडिंग कर चेकिंग कराई गई। बहारियों की तलाश में शहर के सभी होटल, बैंक्वेट हाल तथा ढाबों पर पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गई। चुनाव पर्यवेक्षक तथा डीएम-एसएसपी के साथ गठबंधन नेताओं और प्रत्याशियों की मीटिंग में भी यह स्पष्ट कर दिया गया था कि कोई गड़बड़ी नही होगी, लेकिन मतदान से लेकर मतगणना तक सपा-रालोद गठबंधन सत्तारूढ दल पर विश्वास करने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि नवीन मंडी स्थल स्थित ईवीएम स्ट्रान्ग रूम पर दोनों दलों के नेता पहले दिन से नजर रखते रहे। काउंटिंग के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ की आशंका के मद्देनजर गठबंधन नेताओं ने सभी छह विधानसभा क्षेत्रों से 50 हजार लोगों को नौ मार्च की रात ही शहर में आमंत्रित किया था। उनके रात में रुकने और खाने-पीने की व्यवस्था के लिए मतगणना स्थल के आस-पास के छह बैंक्वट हाल बुक किए गए थे। इनमें कूकड़ा ब्लॉक स्थित मधुर मिलन बैंक्वेट हाल, जानसठ रोड का भगवती बैंक्वट हाल और विश्वकर्मा चौक का मंगलम गार्डन शामिल था। आह्वान किया गया था कि काउंटिंग में किसी भी गड़बड़ी पर ये सभी लोग सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।

काउंटिंग से एक दिन पहले मतगणना स्थल के आस-पास के बैंक्वेट हाल और होटलों में 50 हजार लोगों को ठहराने की खबर जैसे ही जिला प्रशासन को लगी, तो उस पर त्वरित कार्रवाई की गई। सबसे पहले जिले में धारा-144 लागू कर किसी सार्वजनिक स्थान पर पांच या पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। पुलिस-प्रशासन के सख्त रवैये को देखते हुए बुक कराए गए आस-पास के बैंक्वेट हाल स्वामियों ने स्वयं ही गठबंधन नेताओं से हाथ खींच लिये। उन्हें संदेश पहुंचा दिया गया था कि शादी या विवाह समारोह के अलावा 10 मार्च को अन्य प्रयोजन के लिए बैंक्वेट हाल, धर्मशाला आदि बुक किए गए, तो कार्रवाई होगी।


गठबंधन नेताओं की आशंका नकारते हुए डीएम चंद्रभूषण सिंह और एसएसपी अभिषेक यादव ने मतगणना के मद्देनजर सख्त कदम उठाने के संकेत दिए। डीएम ने भरोसा जताने के लिए कहा कि उनकी जिम्मेदारी सामान्य कानून व्यवस्था बनाए रखने की है। एसएसपी अभिषेक यादव ने भी सख्त संदेश देते हुए यह साफ कर दिया था कि शहर के 15-20 चौराहे पुलिस की निगरानी में रहेंगे, मतगणना की पूर्व संध्या से ही इन बेरीकेडिंग पर चेकिंग शुरू कर दी गई। मतगणना स्थल के आसपास 6 बैरियर पुलिस प्रशासन के मैनेजमेंट में बड़े सहायक बने और यहीं से मतगणना स्थल की सुरक्षित घेराबंदी करने में पुलिस प्रशासन सफल रहा।

एसएसपी अभिषेक जहां मतगणना को शांतिपूर्वक सम्पन्न कराने में मिली सफलता के साथ एक सफल कमांडर के रूप में खुद को साबित कर पाये तो वहीं डीएम चंद्रभूषण सिंह ने व्यवस्था बनाने के लिए खुद को मैनेजमेंट गुरू साबित करने में सफल रहे हैं। एसएसपी अभिषेक यादव ने इस सफलता के बाद ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस एवं प्रशासन के समस्त कर्मचारियों की अथक मेहनत एवं लगन के बूते पर ऐसे संवेदनशील जनपद में विधान सभा 2022 की मतदान से लेकर मतगणना की समस्त चुनावी प्रक्रिया कल सकुशल, निर्विघ्न एवं शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। समस्त कर्मियों, मीडिया एवम दलों का अत्यंत आभार।

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