मुजफ्फरनगर में बढ़ा जल प्रलय का खतरा, 54 गांवों पर संकट
एडीएम वित्त गजेन्द्र कुमार ने दूसरे दिन भी किया खादर क्षेत्र का दौरा, गांवों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह; भोकरहेड़ी और रामराज में बनाये गये बाढ़ विस्थापित सेंटर, पशुओं का चारा प्रबंध के लिए भी व्यवस्था बनाने में जुटे अफसर; गंगा, सोलानी और बाण गंगा में अत्याधिक पानी आने पर 10 साल के बाद बने खादर में बाढ़ के हालात, फसलें और आबादी हुई जलमग्न

मुजफ्फरनगर। पहाड़ों पर हो रही भयंकर अतिवृष्टि के कारण चारों और तबाही का मंजर नजर आ रहा है। नदियों में अत्याधिक पानी आने से देहरादून से दिल्ली तक जल प्रलय जैसे नजारे देखने को मिल रहे हैं। इसी के साथ गंगा और यमुना तथा इनकी सहायक नदियों के खतरे के ऊपर चले जाने के कारण तटवर्तीय गांव और खादर क्षेत्र जलमग्न होने लगा है। पश्चिमी यूपी के जिलों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। तो वहीं मुजफ्फरनगर जनपद में भी खादर क्षेत्र से निकल रही नदियों और गंगा के उफान पर पहुंचने के कारण दस साल के बाद जल प्रलय जैसे हालात बन गये हैं। यहां नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से भी ऊपर पहुंच गया है तो वहीं, शामली और सहारनपुर जनपदों में सड़क पर मलबा आने की वजह से हाईवे बंद हो गया है। उधर, शुकतीर्थ गंगाघाट पुल पर जलकुंभी फंसने से बहानी का बहाव बाधित हो रहा है।
जनपद में अब खादर से बह रही सोलानी, गंगा और बाण गंगा से उफनती लहरी डरावनी तस्वीर प्रस्तुत करने लगी हैं। इन नदियों में पहाड़ों से अत्याधिक पानी छोड़े जाने और भयंकर बारिश के कारण जल प्रलय जैसे हालात बन रहे हैं। कई दिनों से हो रही भयंकर बारिश के कारण शुकतीर्थ खादर और रामराज खादर क्षेत्रों में बाढ़ चैकियों का अलर्ट कर दिया गया था। खुद एडीएम वित्त एवं राजस्व गजेन्द्र कुमार अपनी टीम के साथ लगातार खादर क्षेत्र में नदियों के उफान पर नजर बनाये हुए हैं। मंगलवार को भी उन्होंने खादर क्षेत्र के गांवों और बाढ़ संवेदनशील क्षेत्रों का निरीक्षण करते हुए लोगों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की अपील की है। नदियों के उफान पर आने के कारण यहां के ग्रामीण भी अब दहशत में आने लगे हैं। प्रशासन का दावा है कि बाढ़ से निपटने के लिए सभी प्रबंध किये गये हैं। इसके लिए खादर क्षेत्र के प्रभावित गांवों की आबादी के लिए दो विस्थापित सेंटर बनाये गये हैं। इनमें जनता इण्टर काॅलेज भोकरहेडी और माॅर्डन इण्टर काॅलेज रामराज शामिल हैं। इनमें एक हजार से ज्यादा लोगों के ठहरने का प्रबंध किया गया है। इसके साथ ही ग्रामीणों के पशुओं के चारे का संकट न हो इसके लिए भी प्रबंध किये जा रहे हैं। विस्थापित सेंटर के प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए कुछ गांवों से ग्रामीणों का निकलना भी शुरू हो गया है। कुछ ने ऊपरी स्थानों पर ठिकाना बनाया तो कुछ विस्थापित सेंटरों में आये हैं। सूत्रों के अनुसार साल 2013 में खादर क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आई थी। इस दौरान शुकतीर्थ क्षेत्र के 11 और रामराज क्षेत्र के 43 गांव प्रभावित हुए थे। इससे पहले 2011 में भी इन 54 गांवों में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। इसके बाद तेजी से तटबंध बनाने का काम हुआ तो बाढ़ का खतरा गांवों में कम हुआ है, लेकिन इस साल हो रही अतिवृष्टि ने इस खतरे को और ज्यादा बढ़ा दिया है। उधर एडीएम वित्त एवं राजस्व ने बताया कि जनपद में बाढ़ से निपटने के इंतजाम किये जा रहे हैं। खादर के कई गांवों में पानी आया है। जनहानि को रोकने के लिए हम प्रयासरत हैं। वहीं बताया गया कि सोलानी में पानी बढ़ने के साथ मुश्किलें बढ़ गई हैं। शुकतीर्थ गंगाघाट पुल पर जलकुंभी फंसने से बहानी का बहाव बाधित हो रहा है। सोलानी में पानी छोड़े जाने के कारण जलकुंभी बहकर आ रही है। जलस्तर पुल तक पहुंच गया था, जिससे खतरा बढ़ रहा था। लोगों ने पुलिस-प्रशासन को मामले की जानकारी दी। मंगलवार को जेसीबी से जलकुंभी हटाने का काम शुरू किया गया ताकि जल प्रवाह बाधित न हो पाये। वहीं खादर में काफी फसल जलमग्न होने के कारण नष्ट हो रही है।
शामली में यमुना का उफान देख दहशत में आए लोगः जनपद शामली में यमुना नदी के उफान पर आने से पश्चिमी यूपी के जिलों पर खतरा मंडरा रहा है। शामली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से भी ऊपर पहुंच गया है। यमुना नदी में बाढ़ की स्थिति बन गई। यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 231.5 मीटर को पार करते हुए 232 मीटर तक पहुंच गया, जिसके और अधिक बढ़ जाने की पूरी संभावनाएं बताई जा रही हैं। मंगलवार को भी सुबह नौ बजे हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में अब तक सबसे अधिकतम 320893 क्यूसेक पानी प्रति सेकंड डिस्चार्ज किया जा रहा है, जिस कारण आने वाले समय में यमुना अपना रौद्र रूप दिखाएगी। मंगलवार सुबह 8 यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान 231.5 मीटर को पार करते हुए 231.8 मीटर हो गया। यमुना नदी का शोर करता और उछाले मारता पानी आसपास के गांव के लोगों में दहशत भर रहा है। यमुना नदी में आई बाढ़ के कारण यमुना किनारे निवर्तमान सीडीओ शंभू नाथ तिवारी द्वारा बनवाया गया छठ मैया का मंदिर बह गया। तटवर्ती किसानों की फसलों में भी बाढ़ का पानी भर गया है। यमुना के इस रूप को देखकर लोगों के मन में 2013 में यमुना में आई भयंकर बाढ़ की याद ताजा कर रही है। 2013 में हथिनी कुंड बैराज से 800000 क्यूसेक पानी प्रति सेकंड डिस्चार्ज किए जाने के बाद यमुना की बाढ़ ने क्षेत्र में भयंकर तबाही मचाई थी। यूपी को हरियाणा से जोड़ने वाला यमुना नदी के पुल की हरियाणा साइड की सर्विस रोड यमुना के पानी में बह गई थी, जिस कारण करीब 25 दिन तक यूपी का हरियाणा से आवागमन पूरी तरह बंद हो गया था।