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उर्दू डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन ने दी श्रद्धांजलि दी

कार्यकर्ताओं ने अमीरे शरीयत और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ के महासचिव मौलाना वली रहमानी, मासिक उर्दू पत्रिका “शायर” के सम्पादक इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी और मशहूर शायर रजा सिरसवी के निधन पर दुख व्यक्त किया।

उर्दू डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन ने दी श्रद्धांजलि दी
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मुजफ्फरनगर । उर्दू डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन, मुजफ्फरनगर और उर्दू टीचर्स वैलफेयर एसोससिएशन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने अमीरे शरीयत और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ के महासचिव मौलाना वली रहमानी, मासिक उर्दू पत्रिका "शायर" के सम्पादक इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी और मशहूर शायर रजा सिरसवी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उर्दू डेवलपमेंट आॅर्गनाइजेशन, मुजफ्फरनगर के जिलाध्यक्ष कलीम त्यागी ने कहा कि मौलाना सैयद वली रहमानी एक महान धार्मिक नेता थे, जिन्होंने अपनी आखिरी सांस तक मुसलमानों की समस्याओं पर कड़ी नजर रखी और उन्हें विभिन्न प्लेटफार्मों से हल किया। उन्होंने बिहार, झारखंड और उड़ीसा के अमीरे शरीयत के पद पर रहते हुए शरिया कानूनों को बनाए रखने में अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई। खघनकाह रहमानिया के सज्जादा नशीन के रूप में, उन्होंने साम्प्रदायिक एकता में सराहनीय कारनामा अंजाम दिया और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव का पद पर रहते हुए मुसलमानों के सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दों के लिए अपनी असीम क्षमताओं को समर्पित किया। उनकी मृत्यु से हिन्दुस्तानी मुसलमानों और दूसरी सैक्युलर कौमों का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है।

इसी तरह, इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी ने चालीस वर्षों तक मासिक पत्रिका शायर के संपादक रहते हुए उर्दू साहित्य में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कीं।यूडीओ के संयोजक तहसीन अली असरवी ने कहा कि कई महीनों तक गंभीर रूप से बीमार रहने के बावजूद, उन्होंने मासिक शायर को लगातार प्रकाशित किया। इमाम सिद्दीकी की मृत्यु से उर्दू साहित्य और उर्दू पत्रकारिता के लिए एक बडा नुकसान है। उर्दू टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष, रईसुद्दीन राना ने कहा कि इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी ने कई साहित्यिक व्यक्तित्वों का साक्षात्कार किया और विशेष अंक प्रकाशित किए। इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी का जन्म 19 नवंबर, 1947 को आगरा में हुआ था। उनके पिता एजाज सिद्दीकी थे और उनके दादा उर्दू साहित्य के प्रसिद्ध कवि सीमाब अकबराबादी थे। उर्दू टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव शहजाद अली ने कहा कि प्रसिद्ध भारतीय कवि, रजा सरसवी की मृत्यु से उर्दू शायरी का बहुत नुकसान हुआ है। उनकी प्रसिद्ध कविता "माँ" उनकी लोकप्रियता का केंद्र बनी।

इसके अलावा, डॉ0 शमीमुल हसन, बदरूज्जमां खघन, मौलाना मूसा कासमी, शमीम अहमद कस्सार, कारी सलीम मेहरबान, शराफत अली, औसाफ अहमद, गुलफाम अहमद, डॉ0 रियाज अली, बाबू फसीहुद्दीन, मास्टर शोएब अहमद, तौहीद त्यागी और वसीम अहमद फारूकी ने भी मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके लिए दुआए मगफिरत की।

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