एक साल तक असरदार रहेगा कोरोना का टीका

नयी दिल्ली। कोरोना पर काबू पाने के लिए टीकाकरण के बीच दुनिया में यह बहस छिड़ी है कि टीके का असर कितने समय तक रहेगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि एक बार टीका लगाने के बाद वर्षों तक कोरोना के गंभीर संक्रमण से बचाव हो सकता है, लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए एक साल के बाद एक बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है।
इसे लेकर नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिकों का एक समूह कोरोना के सात टीकों के क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़ों पर अध्ययन कर रहा है। जिसका मकसद टीकों से उत्पन्न प्रतिरक्षा क्षमता के दूरगामी प्रभावों का अध्ययन करना है। शोध में निकले चार निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
1- टीकाकरण के एक साल बाद न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडी घटने लगेंगे जिसके लिए टीके की एक बूस्टर डोज लेना जरूरी होगा ताकि इन्हें फिर बढ़ाया जा सके। इससे संक्रमण से बचाव होगा।
2- बिना बूस्टर डोज के भी टीकाकरण कई सालों तक कोरोना के गंभीर संक्रमण से बचाएगा। यानी एक बार टीका लगवा चुके लोगों को इसका संक्रमण होता भी है तो वह हल्का होगा।
3- यदि टीके के बाद किसी व्यक्ति में न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडी कम भी पाई जाती हैं, तो भी वह कोराना संक्रमण को रोकने में कारगर होती हैं।
4- यदि किसी टीके की प्रभावकारिता 50 फीसदी है, तो उसे भी लगाने वालों में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति की तुलना में 80 फीसदी कम एंटीबॉडी बनती हैं। फिर भी ये काफी हद तक बचाव करती हैं।
शोध के सह लेखक और सिडनी यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलाजिस्ट जेम्स ट्राइकस ने कहा कि फाइजर, मॉडर्ना के एमआरएन टीके ज्यादा एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं, जबकि एस्ट्राजेनेका के टीके कम उत्पन्न करते हैं। लेकिन एक साल बाद सभी में कमी आएगी और तब एक अतिरिक्त बूस्टर डोज उन्हें बढ़ा सकती है।
शोध के लेखक इंपीरियल कॉलेज लंदन के इम्यूनोलॉजिस्ट डेनियल अल्टमैन ने कहा कि यह अध्ययन कोरोना टीकाकरण और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को लेकर भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। जेम्स ट्राइकस कहते हैं कि शोधकर्ताओं के लिए क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़ों के आधार पर टीके के असर का आकलन करना मुश्किल नहीं है। हालांकि इस पर और गहन आंकड़े एकत्र करने की जरूरत है।
जापान के योकोहामा सिटी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जिन लोगों को कोरोना की बीमारी हुई थी, उनमें एक साल बाद भी पर्याप्त एंटीबॉडी पाई गई हैं। लेकिन जिन लोगों में संक्रमण हुआ तथा लक्षण नहीं दिखे, उनमें कम पाई पाई गई हैं। इसलिए हल्के या बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों को ठीक होने के बाद टीका लगाने की सलाह दी गई है।