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पूर्वी लद्दाख की हवाई निगरानी के लिए राफेल जेट तैनात, 20 से अधिक चोटियों पर भारत का कब्ज़ा

पूर्वी लद्दाख की हवाई निगरानी के लिए राफेल जेट तैनात, 20 से अधिक चोटियों पर भारत का कब्ज़ा
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आज भारत और चीन के बीच वार्ता होगी जिसमें दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर छठे दौर की वार्ता में शामिल होंगे। भारत ने वार्ता के पहले पैगोंग झील के तनातनी के इलाके में अपने को और मजबूत करते हुए करीब 20 से ज्यादा चोटियों पर कब्जा कर लिया है। सरकार के एक सूत्र ने कल इस बात की जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि राफेल जेट का इस्तेमाल करते हुए भारतीय वायुसेना आसमान से लद्दाख की निगरानी कर रही है। हालांकि ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण पिछले कई हफ्तों से चीनी सैनिकों द्वारा उत्तेजक कार्रवाई का किया जाना है।

सूत्र बताते हैं भारतीय वायुसेना ने चीन को अपनी क्षमता दिखाने के मद्देनजर ऐसा किया है। चीन द्वारा की गई उकसाने वाली कार्रवाई में हवाई फायर किए जाने की तीन घटनाएं भी शामिल हैं। प्रवक्ता के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा से

पूर्वी लद्दाख में चीन की ओर मोल्दो में सुबह नौ बजे यह वार्ता शुरू होने वाली है। वार्ता में मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने और दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाने पर बनी पांच सूत्री सहमति को अमलीजामा पहनाने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस बार विशेष बात ये है कि पहली बार विदेश मंत्रालय से एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में हिस्सा लेने की उम्मीद है। भारत ने उम्मीद जताई कि इस वार्ता में कुछ ठोस नतीजे निकलने का अनुमान है. वहीं, शंघाई सहयोग संगठन अलग से मास्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुई एक बैठक में दोनों पक्ष सीमा विवाद हल करने पर एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेगा। सहमति पत्र में सैनिकों को शीघ्रता से हटाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पालन करना और एलएसी पर शांति बहाल करने के लिये कदम उठाना शामिल हैं। आज आयोजित होने वाली इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करने वाले हैं जो लेह स्थित भारतीय थल सेना की 14 वीं कोर के कमांडर हैं। वहीं, जबकि चीन की तरफ से वार्ता का नेतृत्व मेजर जनरल लियू लिन के करने की संभावना है, जो दक्षिण शिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं। एक सूत्र ने कहा, '' भारत का ज़ोर वार्ता में, टकराव वाले स्थानों से चीनी सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाये जाने पर रहेगा। सूत्रों की मानें तो दोनों पक्ष एक और दौर की वार्ता करने जा रहे हैं, वहीं भारत ने चीन को धता बताते हुए पैंगोंग झील के करीब टकराव वाले स्थानों के आसपास 20 से अधिक पर्वत चोटियों पर अपना वर्चस्व मजबूत कर लिया। खास बात ये रही कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में हाल ही में शामिल किये राफेल लड़ाकू विमान लद्दाख में उड़ान भरेंगे। भारत का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में हवाई फायरिंग करने की तीन घटनाओं सहित चीनी सैनिकों के उकसावे वाली कार्रवाइयों के मद्देनजर अपनी तैयारियों को समग्र रूप से बढ़ाने के तहत ऐसा किया जाएगा।

उल्लेखनीय है वायुसेना के बेड़े में इन लड़ाकू राफेल जेट विमानों को शामिल किये जाने के 10 दिनों से भी कम समय के अंदर लद्दाख में उनकी तैनाती की जाने वाली है। ज्ञातव्य हो अंबाला में 10 सितंबर को एक समारोह में पांच राफेल विमानों को वायुसेना में शामिल किया गया था। वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने इस मौके पर कहा था कि सुरक्षा परिदृश्य पर विचार करते हुए राफेल लड़ाकू विमानों को शामिल करने का इससे अधिक उचित समय नहीं हो सकता था। फिलहाल राफेल बेड़ा अंबाला एयरफोर्स स्टेशन की शान बढ़ा रहा है। वायुसेना प्रवक्ता ने बताया कि 'राफेल लड़ाकू विमान लद्दाख के आसपास उड़ान भर रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से पता चला है कि भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों के आसपास के सामरिक महत्व की 20 से अधिक पर्वत चोटियों तथा चुशुल के विस्तारित सामान्य क्षेत्र में भी पिछले कुछ दिनों में अपना वर्चस्व बढ़ाया है। आपको बता दें इस इलाके में इस समय हाड़ कंपा देने वाली ठंड है। भारतीय वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान पूर्वी लद्दाख में अहम सीमांत एयर बेस पर, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तथा अन्य स्थानों पर तैनात कर दिए हैं।

वहीं सूत्रों ने बताया कि भारतीय थल सेना ने सर्दियों के महीने में विषम परिस्थिति के लिये सैनिकों की मौजूदा संख्या कायम रखने और पूर्वी लद्दाख तथा अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील स्थानों पर सारे इंतजाम कर रखे हैं। ये वो समय होता है जब तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। सूत्रों की मानें तो झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों पर तथा टकराव वाले अन्य स्थानों पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। ऐसे में इस वार्ता का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

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