राज्यपाल ने क्यों मांगा 9 यूनिवर्सिटी के कुलपतियों से इस्तीफा, राजनीति हलकों में मचा घमासान
मौजूदा समय में केरल के राज्यपाल इन दिनों सियासी गलियारों में खूब चर्चाओं में बने हुए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि राज्यपाल आरिफ मौहम्मद खान ने इस रविवार को राज्य की 9 यूनिवर्सिटी के कुलपतियों से इस आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा कि उनकी नियुक्ति के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया था। उनके इस कदम से राज्य में सियासी घमासान छिड़ गया है।

नई दिल्ली। मौजूदा समय में केरल के राज्यपाल इन दिनों सियासी गलियारों में खूब चर्चाओं में बने हुए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि राज्यपाल आरिफ मौहम्मद खान ने इस रविवार को राज्य की 9 यूनिवर्सिटी के कुलपतियों से इस आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा कि उनकी नियुक्ति के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया था। उनके इस कदम से राज्य में सियासी घमासान छिड़ गया है। बताया जाता है कि सभी कुलपतियों ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, तो खान ने उन्हें सोमवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया। नोटिस में उन्हें पद पर बने रहने के अपने 'कानूनी अधिकार' पर तीन नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा गया है। इसके बाद कुलपतियों ने केरल हाई कोर्ट का रुख किया। उन्हें अपने पदों पर बने रहने की तब तक अनुमति दे दी गई, जब तक कि राज्यपाल नोटिस पर उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर अंतिम आदेश पारित नहीं कर देते। मंगलवार को खान ने दो और विश्वविद्यालयों के कुलपति को नोटिस जारी कर दिया। स्टेट यूनिवर्सिटी के चांसलर के तौर पर राज्यपाल ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के पिछले सप्ताह के एक फैसले की ओर इशारा किया था, जिसमें केरल के एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वीसी की नियुक्ति में यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यूजीसी के नियमों का उल्लंघन किया गया है। सर्च कमेटी को टब् के पद के लिए कम से कम तीन नामों की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रही। इसके बाद ही आठ अन्य कुलपतियों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। नौ वाइस चांसलरों को लिखे अपने पत्र में खान ने कथित तौर पर कहा कि उन्हें 'या तो कमेटी ने सिर्फ एक नाम की सिफारिश करके उन्हें नियुक्त किया था या फिर उन्हें नॉन-एकेडमिक मेंबर वाली सर्च/ चयन समिति द्वारा अनुशंसित किया गया था।' वे अपने पदों पर बने रहने के योग्य नहीं हैं। उनके पत्र के अनुसार, इन नौ नियुक्तियों के मामलों में से ज्यादातर में मुख्य सचिव सर्च कमेटी के सदस्य थे, जो नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप की ओर इशारा करते हैं। राज्यपाल के इस कदम ने केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार को परेशान कर दिया है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने आरोप लगाते हुए कहा कि खान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 'एक टूल की तरह काम कर रहे हैं'।