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65 साल पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में हुआ बदलाव, संसद की मिली मंजूरी

अब अनाज, दलहन, आलू, प्याज, खाद्य तेल जैसी चीजें आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में नहीं होंगी।

65 साल पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में हुआ बदलाव, संसद की मिली मंजूरी
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नई दिल्ली। ससंद के दोनों संदनों में आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल पास हो गया है। इसके पास होने के बाद अब अनाज, दलहन, आलू, प्याज, खाद्य तेल जैसी चीजें आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में नहीं होंगी।

लोकसभा ने 15 सितंबर 2020 को आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी मिली थी। अब यह राज्यसभा से भी पास हो गया है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल में बदलाव से अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू सहित कृकृषि खाद्य सामग्री को एक्ट से बाहर हो गई है। इसका मतलब साफ है कि इन सभी कृकृषि खाद्य सामग्री पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा और किसान अपने हिसाब से मूल्घ्य तय कर आपूर्ति और बिक्री कर सकेंगे। हालांकि, सरकार समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रहेगी। जरूरत पड़ने पर नियमों को सख्घ्त किया जा सकता है। निचले सदन में चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा था कि इस विधेयक के माध्यम से कृकृषि क्षेत्र में सम्पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाया जा सकेगा, किसान मजबूत होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे कृकृषि क्षेत्र में कारोबार अनुकूल माहौल बनाने और वोकल फार लोकल को मजबूत बनाया जाएगा। हालांकि विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। विपक्ष ने केद्र सरकार से इसे वापस करने की मांग की। माना जा रहा है कि इस बिल के पास होने से निजी निवेशकों को नियामकीय हस्तक्षेप से मुक्ति मिलेगी। इस विधेयक के माध्यम से कृषि क्षेत्र में सम्पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाया जा सकेगा, किसान मजबूत होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

इस एक्ट के तहत जो भी चीजें आती हैं केंद्र सरकार उनकी बिक्री, दाम, आपूर्ति और वितरण को कंट्रोल करती है। उसका अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर देती है। कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिसके बिना जीवन व्यतीत करना मुश्किल होता है। ऐसी चीजों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल किया जाता है। केंद्र सरकार को जब भी यह पता चल जाए कि एक तय वस्घ्तु की आवक मार्केट में मांग के मुताबिक काफी कम है और इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है तो वो एक निश्चित समय के लिए एक्ट को उस पर लागू कर देती है। उसकी स्टाॅक सीमा तय कर देती है। जो भी विक्रेता इस वस्तु को बेचता है, चाहे वह थोक व्यापारी हो, खुदरा विक्रेता या फिर आयातक हो, सभी को एक निश्चित मात्रा से ज्यादा स्टाॅक करने से रोका जाता है ताकि कालाबाजारी न हो और दाम ऊपर ना चढ़ें।

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